अभिजीत मुखर्जी की रिपोर्ट, Chirmiri Municipal Corporation, Chhattisgarh News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत’ के सपने को चिरमिरी नगर निगम में पलीता लगता दिख रहा है। एक तरफ जहां निगम द्वारा घर-घर से सूखा और गीला कचरा इकट्ठा किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ इस कचरे को आबादी वाले इलाकों के पास ही डंप किया जा रहा है। इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि क्षेत्र में संक्रामक बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है।
गीले कचरे से खाद बनाने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही
नगर निगम के स्वच्छता दीदी घर-घर जाकर सूखा और गीला कचरा अलग-अलग लेती हैं। इस कचरे को एसएलआरएम सेंटर ले जाया जाता है। सूखे कचरे को तो छांट लिया जाता है, लेकिन गीले कचरे से खाद बनाने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है। परिणामस्वरूप, गीले कचरे को स्वच्छता वाहनों में भरकर कालीबाड़ी से महज 100 मीटर की दूरी पर ही डंप किया जा रहा है।
असहनीय बदबू और निवासियों का जीना दूभर
इस डंपिंग से पूरे क्षेत्र में असहनीय बदबू फैल रही है, जिससे स्थानीय निवासियों का जीना दूभर हो गया है। इसके अलावा, इस कचरे के ढेर से संक्रामक बीमारियों के फैलने की आशंका भी बनी हुई है। गौरतलब है कि चिरमिरी के छोटा बाजार क्षेत्र में पहले से ही पीलिया का प्रकोप है, और ऐसे में निगम द्वारा आबादी के पास ही कचरा डंप करना बीमारियों को न्योता देने जैसा है।
लोगों का स्वास्थ्य खतरे में
स्थानीय लोगों का कहना है कि एक ओर सरकार स्वच्छ भारत बनाने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर नगर निगम चिरमिरी के इस रवैये से लोगों का स्वास्थ्य खतरे में है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस खबर के सामने आने के बाद नगर निगम प्रशासन इस गंभीर समस्या पर कब ध्यान देता है और क्या कोई ठोस कदम उठाता है।

