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Meesho founder: IIT से बीटेक कर गवाई शानदार जॉब, IAS अफसर बनने की थी चाह, आज अरबपति क्लब में हुए शामिल Meesho फाउंडर विदित आत्रे

Billionaire Vidit Aatrey: मीशो के सह-संस्थापक विदित आत्रे अरबपति बने. 2015 में छोटे व्यवसायियों को ऑनलाइन बेचने में मदद करने के लिए शुरू हुआ मीशो, आज भारत की बड़ी डिजिटल सफलता बन चुका है.

Published by sanskritij jaipuria

Who is Billionaire Vidit Aatrey: मीशो लिमिटेड के सह-संस्थापक विदित आत्रे, अरबपति क्लब में शामिल हो गए. कंपनी के शेयरों ने लिस्टिंग के दिन 74 प्रतिशत की तेजी देखी, जिससे उनका  नेट वर्थ अरब डॉलर के लेवल तक पहुंच गया. कंपनी के शेयरों का इश्यू प्राइस 111 रुपये था, जो लिस्टिंग के दिन 193 रुपये प्रति शेयर तक पहुंच गया. आत्रे के पास 47.25 करोड़ शेयर हैं, जो अब 1 अरब डॉलर या 9,128 करोड़ रुपये के बराबर हैं. वहीं, संजीव बर्णवाल के पास 31.6 करोड़ शेयर हैं, जिनकी कीमत अब 6,099 करोड़ रुपये है.

मीशो का सफर

मीशो की स्थापना 2015 में विदित आत्रे और संजीव बर्णवाल ने की थी. ये प्लेटफॉर्म छोटे व्यवसायियों और व्यक्तियों को अपने उत्पाद बेचने का अवसर देता है. कंपनी ने सोशल कॉमर्स में एक मजबूत पहचान बनाई है. इसके निवेशकों में मेटा, सॉफ्टबैंक, सीकोइया कैपिटल, वाय कॉम्बिनेटर, नैस्पर्स और एलेवेशन कैपिटल शामिल हैं.

Who is Billionaire Vidit Aatrey: विदित आत्रे कौन हैं?

विदित आत्रे ने जेईई पास कर IIT दिल्ली में दाखिला लिया और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया. उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे विदित कभी नहीं सोच सकते थे कि उनकी जिंदगी भारत के सबसे सफल स्टार्टअप्स में से एक की नींव रखेगी. शुरू में उनका और उनके पिता का सपना आईएएस बनना था. मीशो शुरू करने से पहले उन्होंने ITC और InMobi में काम किया. उन्हें कई अवॉर्ड भी मिल चुके हैं, जैसे Forbes India 30 Under 30 और Fortune India 40 Under 40.

मीशो की शुरुआत

मीशो की यात्रा आसान नहीं रही. शुरुआत Fashnear नामक एक हाइपरलोकल फैशन डिलीवरी ऐप से हुई, जो जल्दी असफल हो गया क्योंकि ग्राहकों को डिलीवरी की गति से ज्यादा विकल्प पसंद थे. दूसरी कोशिश, एक डिजिटल स्टोरफ्रंट जैसी ऐप, कुछ हद तक सफल रही लेकिन बड़े पैमाने पर नहीं चली.

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सच्ची सफलता का कारण था गृहिणियों की पहल. गुजरात और उत्तर प्रदेश में महिलाएं WhatsApp पर अनौपचारिक बुटीक चला रही थीं. इन्हीं छोटे विक्रेताओं की जरूरत को समझकर, आत्रे और बर्णवाल ने Meesho Supply बनाया, जो इन उद्यमियों के लिए एक प्रबंधित मार्केटप्लेस था. ऑर्डर हर महीने दोगुने होने लगे.

प्लेटफॉर्म का नामकरण

फाउंडर्स ने प्लेटफॉर्म का नाम मीशो रखा, जिसका अर्थ है Meri Shop. इसका उद्देश्य था लाखों छोटे विक्रेताओं, खासकर महिलाओं, को डिजिटल स्टोर बनाने में मदद करना. ये बदलाव धीरे-धीरे भारत की सबसे बड़ी इंटरनेट सफलता की कहानी में बदल गया.

 

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