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Pension : सरकार ने एनपीएस और यूपीएस में पेश किए नए निवेश ऑप्शन, जानिए क्या बदला ?

केंद्र सरकार ने एनपीएस और यूपीएस के तहत जीवन चक्र और संतुलित जीवन चक्र निवेश विकल्पों को मंजूरी दी. इससे सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति फंड निवेश में अधिक लचीलापन मिलेगा.

Published by sanskritij jaipuria

केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति निवेश के क्षेत्र में एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) और एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) के तहत दो नए इंवेस्टमेंट ऑप्शन जीवन चक्र (Life Cycle) और संतुलित जीवन चक्र (Balanced Life Cycle) के विस्तार को मंजूरी दे दी है. इस निर्णय की घोषणा वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को की.

सरकार का ये कदम केंद्र सरकार के कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही उस मांग के बाद उठाया गया है, जिसमें वे गैर-सरकारी कर्मचारियों के समान इंवेस्टमेंट ऑप्शन की सुविधा चाहते थे. अब केंद्र के कर्मचारी भी अपनी पेंशन राशि को अधिक लचीले तरीके से निवेश कर सकेंगे.

रिटायरमेंट प्लानिंग में बढ़ेगा लचीलापन

वित्त मंत्रालय के अनुसार, इन नए विकल्पों का उद्देश्य कर्मचारियों को उनकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के अनुसार अपनी सेवानिवृत्ति निधि का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता देना है. इससे रिटायरमेंट प्लानिंग में फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ेगी.

निवेश के विविध ऑप्शन अब उपलब्ध

एनपीएस और यूपीएस के अंदर अब केंद्र सरकार के कर्मचारी विभिन्न निवेश विकल्पों में से चुनाव कर सकेंगे.

 डिफॉल्ट ऑप्शन: इसमें निवेश का पैटर्न पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) द्वारा निर्धारित किया जाता है।
 स्कीम जी: ये सबसे सेफ ऑप्शन माना जाता है, क्योंकि इसमें 100% निवेश सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) में किया जाता है, जिससे निश्चित रिटर्न सुनिश्चित होता है.

जीवन चक्र (Life Cycle) ऑप्शन क्या है?

जीवन चक्र ऑप्शन के अंतर्गत उम्र के अनुसार इक्विटी निवेश का प्रतिशत तय होता है.

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 एलसी-25 (LC-25): इसमें अधिकतम 25% तक इक्विटी में निवेश किया जा सकता है. ये 35 साल की आयु से शुरू होकर 55 साल की आयु तक धीरे-धीरे घटता है.
 एलसी-50 (LC-50): इसमें अधिकतम 50% तक इक्विटी निवेश की अनुमति है, जो उम्र के साथ घटता जाता है.

संतुलित जीवन चक्र (Balanced Life Cycle) विकल्प की विशेषताएं

संतुलित जीवन चक्र, एलसी-50 का एक अपडेटेड वर्जन है. इसमें इक्विटी का आवंटन 45 साल की आयु से कम होना शुरू होता है. इससे कर्मचारियों को अधिक समय तक इक्विटी निवेश में बने रहने का अवसर मिलता है.

 एलसी-75 (LC-75): इसमें अधिकतम 75% तक इक्विटी निवेश की अनुमति दी गई है. ये अनुपात 35 साल की आयु से 55 साल की आयु तक धीरे-धीरे कम होता है.

कर्मचारियों के लिए क्या होगा फायदा?

इन नए निवेश ऑप्शन से सरकारी कर्मचारियों को अपनी जोखिम सहनशीलता और उम्र के अनुसार निवेश का तरीका चुनने की सुविधा मिलेगी. इससे वे अपने सेवानिवृत्ति फंड को अधिक लाभदायक और सेफ तरीके से प्रबंधित कर सकेंगे.

केंद्र सरकार का ये कदम सरकारी कर्मचारियों को आधुनिक वित्तीय नियोजन के अनुरूप अधिक स्वतंत्रता और नियंत्रण देने की दिशा में एक बड़ी पहल है.

sanskritij jaipuria
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