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DA का क्या है विश्व युद्ध से कनेक्शन? जानें महंगाई भत्ते का इतिहास

साल में दो बार DA में  बढ़ोतरी की जाती है. ये बढ़ोतरी 1 जनवरी और 1 जुलाई को लागू होती है. और इसकी गणना उपभोक्ता मूल्य सूचकांक Consumer Price Index (CPI) के आधार पर की जाती है. तो चलिए जानते हैं भारत में क्या है DA का इतिहास क्या है?

Published by Divyanshi Singh

DA Hike: हाल ही में क्रेंद सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता-Dearness Allowance (DA) में 3% के बढ़ोतरी का एलान किया. सरकार के इस एलान के बाद अब केंद्रीय कर्मचारियों को 58% DA मिलेगा जो पहले 55% था. यह 1 जुलाई से प्रभावी होगा. महंगाई भत्ता कर्मचारियों और पेंशनर्स को दिया जाने वाला एक विशेष भत्ता है. महंगाई दर के अनुसार इसे भी सरकार समय-समय पर संशोधित करती है. DA का उद्देश्य बढ़ती महंगाई के बीच कर्मचारियों की क्रय शक्ति को बनाए रखना है.

बता दें कि साल में दो बार DA में  बढ़ोतरी की जाती है. ये बढ़ोतरी 1 जनवरी और 1 जुलाई को लागू होती है. और इसकी गणना उपभोक्ता मूल्य सूचकांक Consumer Price Index (CPI) के आधार पर की जाती है. तो चलिए जानते हैं भारत में क्या है DA का इतिहास? किस साल कितना बढ़ा DA? 

महंगाई भत्ते की शुरुआत कैसे हुई?

महंगाई भत्ते की अवधारणा द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) के समय भारत में आई. उस दौरान कीमतें अचानक बढ़ गईं और कर्मचारियों की आय स्थिर रहने के कारण उनके लिए घर चलाना मुश्किल हो गया. इसी वजह से ब्रिटिश सरकार ने 1940 के दशक में “Dear Food Allowance” या “Cost of Living Allowance” देना शुरू किया, जो आगे चलकर “Dearness Allowance” कहलाया.

प्रारंभिक सुधार और Old Textile Allowance”

साल 1947 में “Old Textile Allowance” नामक भत्ता शुरू किया गया. Old Textile Allowance वास्तव में एक महंगाई भत्ता का ही प्रारंभिक रूप था.इसे सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और टेक्सटाइल (कपड़ा उद्योग) में काम करने वालों को बढ़ती वस्तु कीमतों की भरपाई के लिए देना शुरू किया था.उस दौर में महंगाई का सबसे बड़ा असर कपड़ों और खाद्य वस्तुओं पर पड़ा था, इसलिए इसे “Textile Allowance” कहा गया. बाद में 1953 में इसे संशोधित कर “Revised Textile Allowance” के रूप में पुनर्स्थापित किया गया. शुरुआत में DA को भावात्मक (ad hoc) आधार पर दिया जाता था. बाद में इसे स्थिर रूप देने के लिए इंडेक्स ग्राहक मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index) (CPI) से जोड़ने की व्यवस्था बनी.

कैसे हुआ DA का विकास

बता दें कि भारत सरकार ने हर कुछ वर्षों में वेतन आयोग (Pay Commission) बनाए हैं, जिनका काम सरकारी कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और पेंशन की समीक्षा करना होता है.
तीसरे वेतन आयोग (1970–1973) के दैरान वेतन आयोग ने महंगाई भत्ते को ग्राहक मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index – CPI) से जोड़ने की सिफारिश की. इस समय Neutralisation की अवधारणा शुरू की गई. इसका उद्देश्य महंगाई के असर को तटस्थ करना था. इस नीति के अनुसार सभी कर्मचारियों को एक समान राहत नहीं दी जाती थी 
उच्च वेतन वालों को कम और निम्न वेतन वालों को ज्यादा राहत दी जाती थी.यह प्रणाली 1 जनवरी 1973 से लागू की गई.Neutralisation की सीमा 35% से लेकर 100% तक तय की गई थी.

DA को Percentage System में बदलने की सिफारिश

चौथा वेतन आयोग( Fourth Pay Commission) (1983–1986) के दैरान महंगाई भत्ता (DA) को (प्रतिशत प्रणाली) Percentage System में बदलने की सिफारिश की गई. इसका मतलब था कि महंगाई बढ़ने पर कर्मचारियों की बेसिक सैलरी का एक निश्चित प्रतिशत DA के रूप में जोड़ा जाएगा. आयोग ने यह भी तय किया कि DA की गणना हर छह महीने (1 जनवरी और 1 जुलाई) को की जाएगी. यह औसतन पिछले 6 महीनों के CPI (Consumer Price Index) पर आधारित होती थी.

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DA की नई शुरुआत

पाचवें वेतन आयोग (Fifth Pay Commission) (1994–1996) ने 1 जनवरी 1996 से नई वेतन संरचना लागू की. इस दौरान DA को फिर से व्यवस्थित किया गया और गणना की नई पद्धति बनाई गई.जब नया वेतन ढांचा लागू हुआ, तब DA की दर 0% से शुरू की गई.इसके बाद महंगाई बढ़ने पर DA को नियमित रूप से बढ़ाया जाने लगा.और 1996 से हर बढ़ती महंगाई के साथ उसे बढ़ाया जाने लगा. जुलाई 1996 तक 4% हो गया.

2006 से 2015 तक 25% तक पहुंचा DA

2006 में छठे वेतन आयोग (Sixth Pay Commission) की सिफारिशों के बाद, महंगाई भत्ते की गणना एक नए मेथड से की जाने लगी .इस आयोग ने DA की गणना के लिए आधार वर्ष (Base Year) को बदला. नया CPI इंडेक्स अपनाने का मकसद महंगाई का सही असर दिखना था.इस बदलाव के बाद DA की दरों में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली.2006 से लेकर 2015 तक DA लगातार बढ़ता रहा. 2006 में 0% से शुरू होकर 2015 तक लगभग 125% तक पहुंच गया.

महंगाई भत्ते की पुनर्गणना

2016 में सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद नए वेतनमान के आधार पर महंगाई भत्ते की पुनर्गणना (Recalculation of dearness allowance) की गई. जिसके बाद जनवरी 2016 में महंगाई भत्ते की दर 125% से पुनर्गणना के बाद 2% कर दी गई लेकिन यह केवल गणना में बदलाव था.

कोविड महामारी के कारण DA पर रोक

कोविड-19 महामारी के कारण, 2021 में DA वृद्धि अस्थायी रूप से रोक दी गई थी लेकिन बाद में जुलाई 2021 में इसे बढ़ाकर 31% कर दिया गया. इसके बाद जनवरी 2022 में इसे बढ़ाकर 34%, जुलाई 2022 में 38%, जनवरी 2023 में 42%, जुलाई 2023 में 46%, जनवरी 2024 में 50%, जुलाई 2024 में 53% और जनवरी 2025 में 55% और अब जुलाई 2025 में 58% कर दिया गया है.

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DA में बदलाव के कारण और इसके पीछे की प्रक्रिया

DA में बदलाव का मुख्य आधार CPI-IW (औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) है. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी यह आंकड़ा आम जनता के लिए आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि को दर्शाता है. जब CPI लगातार बढ़ता है, तो सरकार उसी अनुपात में DA में बढ़ोतरी करती है.

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Divyanshi Singh

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