Budget 2026: केंद्र सरकार ने आने वाले यूनियन बजट 2026-27 की तैयारियों के तहत आम जनता से सुझाव मांगे हैं. सरकार का कहना है कि जनता की भागीदारी से बजट को ज़्यादा समावेशी, व्यावहारिक और विकास-उन्मुख बनाया जा सकता है.
सरकार ने अपने ऑफिशियल MyGov X (पहले ट्विटर) अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर करके नागरिकों से अपील की है. पोस्ट में लिखा है “जनता की राय के आधार पर बजट बनाना. यूनियन बजट 2026-27 के लिए अपने सुझाव शेयर करें और ऐसी पॉलिसी में योगदान दें जो समावेशी विकास और राष्ट्रीय प्रगति को बढ़ावा दें.” सरकार ने लोगों से MyGov वेबसाइट पर जाने और अगले फाइनेंशियल ईयर के बजट में किन सेक्टरों पर खास ध्यान देना चाहिए, इस बारे में अपने विचार शेयर करने को कहा है.
बजट से पहले की सलाह-मशविरा प्रक्रिया पूरी हुई
इससे पहले, केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई दिल्ली में बजट से पहले की कई सलाह-मशविरा बैठकें पूरी कीं. इन बैठकों की शुरुआत जाने-माने अर्थशास्त्रियों के साथ चर्चा से हुई, जिसके बाद किसान संगठनों और कृषि अर्थशास्त्रियों के साथ बातचीत हुई। इसके बाद MSMEs, पूंजी बाजार, स्टार्टअप, मैन्युफैक्चरिंग, BFSI (बैंकिंग, वित्तीय सेवाएँ और बीमा), सूचना प्रौद्योगिकी और पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें हुईं. आखिर में, ट्रेड यूनियनों और श्रम संगठनों से भी सुझाव मांगे गए.
MSME सेक्टर पर खास ज़ोर
हाल ही में, इंडस्ट्री एसोसिएशन ने भी सरकार को अपने सुझाव दिए हैं। इंडस्ट्री बॉडी PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) ने MSME सेक्टर के लिए आसान टैक्स सिस्टम, सस्ता लोन और आसान नियमों की मांग की है. इन प्रस्तावों में इनकम टैक्स, बैंक लोन तक पहुंच, एक्सपोर्ट प्रमोशन और इक्विटी फंडिंग से जुड़े सुधार शामिल हैं, जिससे छोटे उद्यम कम लागत और कम देरी के साथ अपना कारोबार कर सकें. संगठन का मानना है कि इससे MSME यूनिट्स की ग्रोथ, समय पर लोन चुकाने की उनकी क्षमता और उनकी ग्लोबल कॉम्पिटिटिवनेस मज़बूत होगी.
2026-27 का बजट ऐसे समय में आया है जब देश की GDP ग्रोथ मज़बूत बनी हुई है और महंगाई काफी हद तक कंट्रोल में है. सरकार इन पॉजिटिव संकेतों को सही पॉलिसी सपोर्ट देकर लॉन्ग-टर्म ग्रोथ में बदलना चाहती है.
बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा
परंपरा के अनुसार, हर साल 1 फरवरी को संसद में सालाना केंद्रीय बजट पेश किया जाता है. बजट से पहले, वित्त मंत्री बजट बनाने की प्रक्रिया को और ज़्यादा समावेशी बनाने के लिए अलग-अलग मंत्रालयों के सचिवों और अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स के साथ ज़रूरी प्री-बजट मीटिंग करते हैं. सरकार ने दोहराया है कि नागरिकों से मिले सुझाव पॉलिसी बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे और देश के पूरे विकास को आकार देने में मदद करेंगे.

