Amausi massacre in Khagaria: बिहार के खगड़िया जिले के अमौसी दियारा क्षेत्र में 1 अक्टूबर साल 2009 की मध्य रात्रि को हुए नरसंहार ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. इस काली रात को आखिर कौन नहीं जानता होगा. जिस किसी ने भी इस घटना के बारे में सूना उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई थी. इस दर्दनाक वारदात में चार बच्चों समेत 16 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी. घटना के 16 साल बीत जाने के बाद भी पीड़ितों और चश्मदीदों के जेहन में उस ‘काली रात’ का खौफ आज भी जिंदा है.
चश्मदीदों का दर्दनाक बयान
घटना के चश्मदीद पारो सिंह ने उस भयानक रात को याद करते हुए बताया कि लगभग 40 से 50 की संख्या में आए अपराधियों ने उनके खलिहान को चारों तरफ से घेर लिया था. बच्चों समेत सभी बड़ों को रस्सी से बांधकर एक जगह जमा किया गया. उन्होंने आगे बताया कि “बदमाशों ने मेरे पुत्र चंदन कुमार को भी मार डाला था, मुझे भी बांधकर गोली मारी गई, लेकिन किस्मत अच्छी थी इसलिए मैं डर से गिर गया और मेरी जान बच सकी. इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि जब एक बच्चे ने हल्ला किया तो उसे उसी वक्त गोली मार दी गई थी. बाद में एक अपराधी ने कहा कि सबने उन्हें पहचान लिया है, इसलिए किसी को छोड़ना ठीक नहीं होगा. इसके बाद अपराधियों ने बांधकर रखे सभी लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी थी.
अमेरिका देवी ने खोए अपने दोनों पुत्र
एक अन्य पीड़िता अमेरिका देवी ने इस नरसंहार में अपने दोनों बेटों को खो दिया था. इस घटना पर उन्होंने बताया कि रात के 2 बजे किसी ने उनके घर आकर खबर दी कि बदमाशों ने उनके दोनों बेटों को खत्म कर दिया है. इस घटना ने एक मां की पूरी दुनिया उजाड़ कर रख दी थी.
वर्चस्व की लड़ाई और जमीनी विवाद
अमौसी नरसंहार के पीछे मुख्य कारण जमीनी विवाद और वर्चस्व की लड़ाई थी. अमौसी एक दियारा इलाका है, जहां इचरुआ के लोग बटाई और ठेके पर जमीन लेकर खेती किया करते थे.
यह हत्याकांड 2 अक्टूबर यानी अहिंसा दिवस की सुबह सबके सामने आया, जब लोगों ने 16 शवों का वीभत्स मंजर देखा. अपराधियों ने खून की ऐसी होली खेली थी, जिसमें किसी को नहीं बख्शा गया.
न्याय की लड़ाई और निराशा
इस मामले में खगड़िया कोर्ट ने पहले 10 लोगों को फांसी की सजा और 14 लोगों को आजीवन कारावास सुनाया था. लेकिन, चश्मदीद पप्पू सिंह के मुताबिक, एक साल बाद ही हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. इस फैसले के बाद से पीड़ितों और उनके परिजनों का डर और बढ़ गया है. इस घटना ने बिहार में एक बार फिर से कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे.

