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कब की रुक जाती भारत की बेटी Nimisha Priya की फांसी? इजरायल का दुश्मन बना बीच का रोड़ा, सजा-ए-मौत से पहले हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Nimisha Priya Yemen Case:निमिषा के परिवार ने ब्लड मनी के तौर पर 8.5 करोड़ रुपये (10 लाख डॉलर) देने की पेशकश की है। पैसे इकट्ठा भी हो गए हैं, लेकिन अब्दो का परिवार अभी इसके लिए तैयार नहीं है।

Published by Divyanshi Singh

Nimisha Priya Yemen Case: यमन की जेल में बंद निमिषा प्रिया को मौत की सज़ा से बचाने के लिए दिल्ली से लेकर सना तक हलचल तेज़ है। भारत सरकार के अधिकारियों से लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं तक, सभी इस मामले में सक्रिय हैं, लेकिन अभी तक ब्लड मनी पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। ब्लड मनी ही आखिरी उपाय है, जिससे निमिषा प्रिया की जान बच सकती है।निमिषा प्रिया पर अपने बिज़नेस पार्टनर अब्दो महदी की हत्या का आरोप है। इस मामले में निमिषा को मौत की सज़ा सुनाई गई है। यमन के शरिया क़ानून के मुताबिक, अगर महदी का परिवार ब्लड मनी के लिए राज़ी हो जाता है, तो निमिषा जेल से रिहा हो जाएगी।

परिवार 8.5 करोड़ रुपये देने को राज़ी

निमिषा के परिवार ने ब्लड मनी के तौर पर 8.5 करोड़ रुपये (10 लाख डॉलर) देने की पेशकश की है। पैसे इकट्ठा भी हो गए हैं, लेकिन अब्दो का परिवार अभी इसके लिए तैयार नहीं है।सवाल यह उठ रहा है कि अब्दो का परिवार इसे क्यों नहीं मान रहा है? क्या अब्दो महदी के परिवार के लिए यह रकम कम है या उन पर कोई और दबाव है?

पूरे मामले में हूती विद्रोही सक्रिय

निमिशा प्रिया मामले में हूती विद्रोहियों का सक्रिय होना परेशानी का सबब बन गया है। सोमवार (14 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने भी इस ओर इशारा किया। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हूती विद्रोहियों ने इसे सम्मान से जोड़ दिया है।अब्दो महदी परिवार और हूती विद्रोही खून के पैसे की बात नहीं कर रहे हैं। इसलिए यह मामला आगे नहीं बढ़ रहा है। सरकार की कोशिशें जारी हैं। परिवार भी वहीं है और बातचीत चल रही है।हूती विद्रोहियों को मनाने के लिए सुन्नी समुदाय के ग्रैंड मुफ्ती केरल में डेरा डाले हुए हैं। ग्रैंड मुफ्ती अबु बकर मुसलियार ने यमन के धार्मिक नेता से बंद कमरे में मुलाकात की है।

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हूतीयों के वजह से नहीं पा रही है बात

हूती मामले में यह भी एक बड़ी बाधा है।यही कारण भी है कि भारत निमिशा प्रिया को नहीं बचा पा रहा है। क्योंकि यमन में हूती सक्रिय हैं और इसी वजह से यमन की राजधानी में कोई भारतीय दूतावास नहीं है। हूती विद्रोही पिछले 6 सालों से यमन और उसके आसपास उत्पात मचा रहे हैं।

भारतीय दूतावास सऊदी अरब के रियाद से इस पूरे घटनाक्रम पर नज़र रखने की कोशिश कर रहा है, लेकिन हूती के सऊदी अरब से भी रिश्ते अच्छे नहीं हैं। हूती सऊदी अरब को अमेरिका का पिट्ठू मानते हैं और हर समय उसके ख़िलाफ़ मोर्चा खोले रहते हैं।

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