Geeta Gopinath: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वह अगस्त 2025 के अंत तक IMF छोड़ देंगी। वह जनवरी 2022 से इस पद पर थीं और इससे पहले 2019 से IMF की मुख्य अर्थशास्त्री के रूप में कार्यरत थीं।अब IMF को उनकी जगह एक नए अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी, जिसकी घोषणा बाद में की जाएगी। इस इस्तीफे को IMF में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
इस्तीफे की वजह
गोपीनाथ IMF छोड़कर शिक्षा क्षेत्र में वापसी करना चाहती हैं।वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में अपनी भूमिका फिर से शुरू करेंगी। हार्वर्ड ने पुष्टि की है कि वह जनवरी से शुरू होने वाले सत्र में अध्यापन में वापस आएँगी।उन्होंने खुद भी कहा कि वह अध्यापन और शोध कार्य में वापस आकर अर्थशास्त्र की एक नई पीढ़ी तैयार करना चाहती हैं। उन्होंने कहा है कि यह फैसला सोच-समझकर लिया गया है।
गोपीनाथ ने आईएमएफ में अपने कार्यकाल को सम्मान और बड़ी ज़िम्मेदारी का अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि महामारी और वैश्विक संकटों के दौरान काम करना उनके जीवन का एक विशेष समय था।
आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने भी गोपीनाथ की प्रशंसा की और कहा कि वह संगठन का एक मज़बूत बौद्धिक स्तंभ रही हैं। उन्होंने आर्थिक निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके जाने से संगठन में एक बड़ा शून्य पैदा होगा।
भारतीय मूल की अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ आज वैश्विक अर्थव्यवस्था के नीति निर्धारण में एक प्रभावशाली नाम बन चुकी हैं। उन्होंने न केवल अपनी मेहनत और प्रतिभा से आईएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) जैसे वैश्विक संगठन में शीर्ष पद हासिल किया, बल्कि भारत की आर्थिक संभावनाओं को भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मजबूती से रखा है।
शिक्षा और शुरुआती जीवन
गीता गोपीनाथ का जन्म 8 दिसंबर 1971 को मैसूर, कर्नाटक में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई मैसूर में ही पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित लेडी श्रीराम कॉलेज (LSR) से वर्ष 1992 में अर्थशास्त्र में ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर डिग्री हासिल की।
गीता का शिक्षा के प्रति समर्पण यहीं नहीं रुका। 1994 में उन्होंने वाशिंगटन विश्वविद्यालय का रुख किया और फिर 1996 से 2001 तक अमेरिका की प्रतिष्ठित प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की। इसी दौरान उनकी मुलाकात इकबाल सिंह धालीवाल से हुई, जो बाद में उनके जीवनसाथी बने। इस दंपति का एक बेटा भी है, जिसका नाम राहिल है।
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अंतर्राष्ट्रीय करियर की ऊँचाइयाँ
गीता गोपीनाथ ने 2001 से 2005 तक शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिज़नेस में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम किया। इसके बाद वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगीं, जहाँ 2005 से 2022 तक उन्होंने जॉन ज़्वानस्ट्रा प्रोफेसर के रूप में इंटरनेशनल स्टडीज़ और इकोनॉमिक्स पढ़ाया। उनकी पहचान एक गंभीर और गहराई से सोचने वाली शोधकर्ता के रूप में बनी। अंतर्राष्ट्रीय वित्त, समष्टि अर्थशास्त्र, विनिमय दर, निवेश, मौद्रिक नीति और वैश्विक वित्तीय संकटों पर उनके कई शोधपत्र प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
आईएमएफ में ऐतिहासिक भूमिका
गीता गोपीनाथ ने 2019 से 2022 तक आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री (Chief Economist) के रूप में कार्य किया। वह इस पद तक पहुंचने वाली पहली महिला बनीं। उनके कार्यकाल के दौरान IMF ने कोविड-19 महामारी और वैश्विक आर्थिक मंदी जैसी चुनौतियों का सामना किया, जिसमें उन्होंने महत्वपूर्ण नीतिगत सलाह दी।
इसके बाद, 21 जनवरी 2022 से वह आईएमएफ की प्रथम उप-प्रबंध निदेशक (First Deputy Managing Director) बन गईं। इस भूमिका में वह G7 और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर IMF का प्रतिनिधित्व करती हैं, नीति निर्माण का नेतृत्व करती हैं, और विभिन्न देशों की सरकारों के साथ संपर्क बनाए रखती हैं। उनकी निगरानी में अर्जेंटीना और यूक्रेन जैसे देशों में आर्थिक सहायता और पुनरुद्धार कार्यक्रमों का संचालन हुआ। वह IMF के रिसर्च और प्रमुख प्रकाशनों की भी निगरानी करती हैं।
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