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Water Crisis : 60 लाख लोगों पर मंडरा रहा जल संकट…2030 तक इस इस्लामिक देश से पूरी तरह खत्म हो जाएगा पानी! अभी-अभी बना है भारत का दोस्त

Water Crisis Report : हाल के समय में भी इस इस्लामिक देश की हालत ठीक नहीं है। पानी के मामले में यहां सिर्फ अमीरों की प्यास बुझ रही है। पानी का संकट अगर ऐसा ही बना रहा तो वहां रहने वाले 60 लाख लोगों के लिए जीने-मरने वाली स्थिति पैदा कर देगा।

Published by Shubahm Srivastava
Water Crisis Report : भारत के पड़ोस में जल्द ही पानी का संकट आने वाला है। यहां पर हम अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की बात कर रहे हैं, जहां पर आने वाले अगले पांच साल में पूरी तरह पानी खत्म हो सकता है। इसको लेकर गैर-सरकारी संगठन मर्सी कॉर्प्स की तरफ से एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है। अगर ये सच है तो आधुनिक समय में यह पहला ऐसा बड़ा शहर होगा जहां पूरी तरह पानी खत्म हो जाएगा।
हाल के समय में भी इस इस्लामिक देश की हालत ठीक नहीं है। पानी के मामले में यहां सिर्फ अमीरों की प्यास बुझ रही है। पानी का संकट अगर ऐसा ही बना रहा तो वहां रहने वाले 60 लाख लोगों के लिए जीने-मरने वाली स्थिति पैदा कर देगा।

मर्सी कॉर्प्स ने जल संकट को लेकर क्या कहा?

मर्सी कॉर्प्स का कहना है कि पिछले 10 सालों में काबुल का भूमिगत जलस्तर 25-30 मीटर तक गिर गया है। इसका सबसे बड़ा कारण अत्यधिक जल दोहन, अनियंत्रित बोरवेल और जलवायु परिवर्तन है। हर साल करीब 4.4 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी जरूरत से ज्यादा निकाला जा रहा है, जबकि इसकी तुलना में बहुत कम पानी जमीन में जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक काबुल का पूरा भूमिगत जल खत्म हो सकता है, जिससे करीब 30 लाख लोगों का पलायन हो सकता है। यूनिसेफ का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि काबुल के आधे से ज्यादा बोरवेल सूख चुके हैं और जो बचे हैं, उनमें बहुत कम पानी है।
लेकिन सबसे बड़ी समस्या सिर्फ पानी की कमी नहीं, बल्कि जहरीला पानी है। रिपोर्ट के मुताबिक, 80 फीसदी भूमिगत जल दूषित है, जिसमें सीवेज, आर्सेनिक और खारापन जैसी खतरनाक चीजें शामिल हैं।

जिसके पास ज्यादा पैसा, उसको मिल रहा पानी

काबुल पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी के पूर्व लेक्चरर असीम मायर ने कहा कि जल संकट के कारण काबुल की समस्याएं बहुत बढ़ गई हैं। काबुल में पानी अब ‘जिसके पास पैसा है, वह बचेगा’ वाली स्थिति बन गई है। मायर ने कहा कि अमीर लोग गहरे बोरवेल खोद रहे हैं, जिससे गरीबों के लिए पानी तक पहुंच और भी मुश्किल हो गई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, 2001 में काबुल की आबादी जो सिर्फ 10 लाख थी, आज 60 लाख को पार कर गई है। पानी का बुनियादी ढांचा वही पुराना है, लेकिन दबाव कई गुना बढ़ गया है। दो दशकों की राजनीतिक अस्थिरता, जल नीति की विफलता और ग्लोबल वार्मिंग ने मिलकर यह खतरनाक स्थिति पैदा कर दी है।

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Shubahm Srivastava
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