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Maharashtra Language Row : महाराष्ट्र सरकार द्वारा कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के फैसले को वापस लेने के बाद उद्धव ठाकरे की शिवसेना अपनी जीत का जश्न मना रही है। इस मुद्दे पर उद्धव और राज ठाकरे को तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन का भी समर्थन मिला। लेकिन बदले में स्टालिन को शायद वह समर्थन नहीं मिला जिसकी उन्हें उद्धव ठाकरे से उम्मीद थी।
रविवार को उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने सीएम स्टालिन को बड़ा झटका देते हुए साफ कर दिया कि पार्टी का हिंदी विरोध सिर्फ प्राइमरी स्कूलों में हिंदी को शामिल करने के फैसले के विरोध तक ही सीमित है।
संजय राउत का स्टालिन को जवाब
इस मुद्दे पर शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने कहा, हिंदी थोपे जाने के खिलाफ उनके (डीएमके) रुख का मतलब है कि वे हिंदी नहीं बोलेंगे और न ही किसी को हिंदी बोलने देंगे। लेकिन महाराष्ट्र में हमारा रुख ऐसा नहीं है। हम हिंदी बोलते हैं… हमारा रुख है कि प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी के लिए सख्ती बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हमारी लड़ाई यहीं तक सीमित है। यह स्पष्ट करते हुए कि ठाकरे बंधुओं का रुख केवल प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी थोपे जाने के खिलाफ है, राउत ने स्टालिन को उनकी लड़ाई में शुभकामनाएं दीं, साथ ही एक सीमा रेखा भी खींची।
यूबीटी सांसद ने आगे कहा कि हमने किसी को हिंदी में बोलने से नहीं रोका है क्योंकि हमारे पास हिंदी फिल्में, हिंदी थिएटर और हिंदी संगीत है… हमारी लड़ाई केवल प्राथमिक शिक्षा में हिंदी थोपे जाने के खिलाफ है। करीब दो दशक में पहली बार उद्धव और राज ठाकरे के एक मंच पर आने के कुछ घंटों बाद स्टालिन ने इस मुद्दे पर ठाकरे बंधुओं के रुख का स्वागत किया।
स्टालिन ने एक्स पर क्या लिखा था?
महाराष्ट्र में हिंदी भाषा विवाद पर स्टालिन ने ट्विटर पर लिखा था कि, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और तमिलनाडु के लोगों द्वारा हिंदी को थोपे जाने के खिलाफ पीढ़ियों से चलाया जा रहा भाषा अधिकार संघर्ष अब राज्य की सीमाओं को पार कर पूरे महाराष्ट्र में विरोध की आंधी की तरह फैल रहा है। ठाकरे बंधुओं के पुनर्मिलन का स्वागत करते हुए स्टालिन ने कहा, हिंदी थोपे जाने के खिलाफ भाई उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में आज मुंबई में आयोजित विजय रैली का उत्साह और शक्तिशाली भाषण हमें अपार उत्साह से भर देता है।