Israel Gaza News: गाजा में इजरायल के हमले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। गाजा के लोग अब हमले के साथ-साथ भूख के भी शिकार हो रहे हैं। इसी बीच इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को कहा कि इजरायल के प्लान में पूरे गाजा पट्टी पर कब्जा करना और आबादी को विस्थापित करना शामिल है। उन्होने यरूशलेम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात का खुलासा किया। वहीं दूसरी ओर हज़ारों इज़राइली नेतन्याहू के इस योजना का विरोध कर रहे हैं। बता दें इज़राइली सुरक्षा मंत्रिमंडल ने शुक्रवार तड़के मंज़ूरी दे दी। उन्होने कहा था कि इस योजना के लिए बड़ी संख्या में रिज़र्व सैनिकों को बुलाना होगा, जिनमें से कई पहले ही जंग में हिस्सा ले चुके हैं।
बंधकों के परिवारों ने की नेतन्याहू के इस फैसले कि निंदा
बता दें 7 अक्टूबर 2023 को जब हमास ने गाजा पर हमला किया तो उसने इजरायल के सैकड़ों लोगों को बंधक बना लिया था जिनमे से कई बंधको को रिहा कर लिया गया है लेकिन 50 बंधक अभी भी हमास के कब्जे में हैं। अब बंधको के परिवार इजरायल सरकार के इस कदम की निंदा कर रही है। क्योंकि वो चाहते हैं कि नेतन्याहू सरकार हमास के साथ एक युद्धविराम समझौता करे जिससे हमास द्वारा बंधक बनाए लोगों को उनकी कैद ले छुड़ाया जा सके।
‘यह जंग को खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका’
इज़राइली सुरक्षा मंत्रिमंडल द्वारा इस योजना को मंज़ूरी दिए जाने के बाद अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इजरायल के पीएम ने कहा कि “झूठे दावों के विपरीत यह जंग को जल्द खत्म करने का सबसे अच्छा तरीका है।” इस प्लान में गाज़ा से फ़िलिस्तीनियों का बड़े पैमाने पर विस्थापन भी शामिल है।
गाजा के लोगों के यहां ले जाएगा इजरायल
नेतन्याहू ने कहा कि गाज़ा का लगभग 75% हिस्सा पहले से ही इज़राइली सेना के कंट्रोल में है। उन्होने कहा कि गाज़ा शहर और उसके मध्य क्षेत्रों को गाजा के लोगों से मुक्त कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि इज़राइल ऐसा लोगों को “जंग के इलाके से निकाल कर सुरक्षित जगह पर पहुंचाएगा। उन्होने कहा कि वहां उन्हें भोजन, पानी और चिकित्सा देखभाल पर्याप्त मात्रा में दी जाएगी। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि गाज़ा की 20 लाख की आबादी को इन क्षेत्रों में सुरक्षित रूप से कैसे पहुँचाया जाएगा और ये जगह कहां होगा।
दुनिया भर से मिल रही है आलोचना
इज़राइल गाज़ा में भुखमरी के लिए अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना कर रहा है और संयुक्त राष्ट्र समर्थित विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक भयावह अकाल है। गाज़ा शहर के लोगों का कहना है कि उनके वहाँ से जाने और फिर से दक्षिणी क्षेत्र में विस्थापित होने का कोई कारण नहीं है।
गाज़ा शहर के 60 वर्षीय निवासी सादी बरकत ने कहा, “मैं सड़क पर या किसी तंबू में मर जाऊँगा। नहीं, मैं सड़क पर मरने की बजाय यहाँ ज़्यादा सम्मान के साथ मरना पसंद करूँगा।” एनपीआर से बात करने वाले अन्य लोगों की तरह, उन्होंने भी कहा कि उनके पास भागने का कोई साधन या योजना नहीं है। युद्ध के दौरान पिछले विस्थापन आदेशों में, इज़राइल ने अस्पतालों को जबरन बंद कर दिया था और भोजन पर भारी प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे आलोचकों ने “भूखे रहो या छोड़ दो” नीति बताया था।

