ISI Taliban Terror Link : खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने एक बार फिर पाकिस्तान की पोल खोल दी है। गंदापुर ने माना है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां आईएसआई और एमआई कुछ तालिबानी आतंकियों को अपना आदमी बताकर रिहा करवाती हैं और अपने अभियानों के लिए उनका इस्तेमाल करती हैं। गंदापुर के इस बयान से साफ है कि आतंकियों को लेकर पाकिस्तान की नीति क्या है।
गंडापुर के बयान से इस बात की भी पुष्टि होती है कि आईएसआई और पाक सेना पेशावर से लेकर कश्मीर तक ‘पालतू आतंकियों’ की फौज खड़ी कर रही है, ताकि भारत को निशाना बनाया जा सके।
अली अमीन गंदापुर ने अपनी ही सुरक्षा एजेंसी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि हमारी पुलिस ऐसे लोगों को गिरफ्तार करती है जो तालिबान से जुड़े होते हैं। लेकिन आईएसआई और एमआई आकर कहते हैं, ये हमारे लोग हैं, इन्हें रिहा कर दो। हम इनका इस्तेमाल करते हैं।
ISI की ‘गुड तालिबान’ साजिश
आईएसआई की ‘गुड तालिबान’ नीति कोई नई बात नहीं है। पहले अफगानिस्तान, फिर ख़ैबर पख़्तूनख़्वा और अब जम्मू-कश्मीर में भी इस नीति की गूँज सुनाई दे रही है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में जिन तालिबान लड़ाकों को ‘उपयोगी’ बताकर छोड़ा जा रहा है, उन्हें बाद में भारत विरोधी गतिविधियों के लिए तैयार किया जाता है।
उनका मक़सद कश्मीर में घुसपैठ बढ़ाना, आतंकवादी हमलों की योजना बनाना और सीमा पार से धन और प्रशिक्षण प्राप्त करना है। पाकिस्तान की ओर से बार-बार कहा जाता है कि वह आतंकवाद के खिलाफ सख्त है, लेकिन इस बयान ने साबित कर दिया कि ‘अच्छे तालिबान’ के नाम पर आतंकवाद को अभी भी अप्रत्यक्ष संरक्षण मिल रहा है।
पाकिस्तान में मचा बवाल
गंडापुर के बयान के बाद पाकिस्तान में भी हंगामा मच गया है। पूर्व गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने पलटवार करते हुए पूछा है कि डेरा इस्माइल खान में तालिबान को कितनी रिश्वत मिलती है? यानी ये विवाद अब सिर्फ बयानबाजी नहीं रहा, बल्कि पाकिस्तान में सत्ता के दो खेमों के बीच सीधी लड़ाई बन गया है, एक तरफ चुनी हुई सरकार, तो दूसरी तरफ देश का ख़ुफ़िया तंत्र।

