David Corridor Plan : इजरायल की नई योजना ने मिडिल ईस्ट में एक बार फिर से तनाव बढ़ा दिया है। रिपोर्ट्स की माने तो इजरायल ‘डेविड कॉरिडोर’ को लेकर काम कर रहा है। इस प्लान तुर्की, ईरान समेत कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। इजरायल का ये प्लान सीरिया के टुकड़े करने की ओर इशारा कर रहा है और ग्रेटर इजराइल की तरफ बढ़ते कदमों को दिखा रहा है।
फिलहाल अभी तक इजरायल की तरफ से इस योजना को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन इसको लेकर क्षेत्र में तनाव एक बार फिर से बढ़ गया है।
क्या है इजरायल का ‘डेविड कॉरिडोर’?
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, डेविड कॉरिडोर एक रणनीतिक मार्ग है जो इज़राइल को दक्षिणी सीरिया के ड्रूज़-बहुल क्षेत्रों से जोड़ता है और वहाँ से उत्तरी सीरिया के कुर्द क्षेत्रों तक सीधी पहुँच प्रदान करता है। यानी इज़राइल एक ऐसा क्षेत्र बनाना चाहता है जिसके ज़रिए वह सीरिया के भीतर अपना स्थायी प्रभाव स्थापित कर सके। कई विशेषज्ञ इस योजना को ग्रेटर इज़राइल के विचार से जोड़ते हैं। एक ऐसा विचार जिसमें इज़राइल की सीमाएँ नील नदी से लेकर फ़रात नदी तक फैली हुई बताई जाती हैं।
इस योजना के पीछे इज़राइल का तर्क है कि वह सिर्फ़ अपनी सीमाओं की सुरक्षा चाहता है, खासकर सीरिया में मौजूद ईरान समर्थित समूहों से। इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू कई बार कह चुके हैं कि वह उत्तरी सीमा पर किसी भी शत्रुतापूर्ण ताकत को बर्दाश्त नहीं करेंगे। साथ ही, ड्रूज़ समुदाय को समर्थन देने की बात भी कही है।
सीरिया के हो जाएंगे टुकड़े!
तुर्की के प्रमुख समाचार पत्र हुर्रियत के स्तंभकार अब्दुलकादिर सेल्वी का मानना है कि इजरायल की योजना के अनुसार, सीरिया को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है दक्षिण में एक ड्रूज़ राज्य, पश्चिम में एक अलावी क्षेत्र, केंद्र में एक सुन्नी अरब राज्य और उत्तर में एक कुर्द राज्य, जिसका प्रबंधन एसडीएफ (सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेज) द्वारा किया जाएगा।
तुर्की की बढ़ गई टेंशन
बता दें कि सीरिया की केंद्र सरकार को तुर्की का समर्थन हासिल है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने 17 जुलाई को स्पष्ट रूप से कहा था कि वह सीरिया का विभाजन नहीं होने देंगे। एर्दोगन को इस बात का डर है कि
तुर्की के सरकारी मीडिया ने भी इज़राइल की सैन्य गतिविधियों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अगर कुर्द और द्रुज़ समुदायों को स्वायत्तता मिल गई, तो इससे न केवल सीरिया की अखंडता भंग होगी, बल्कि तुर्की के अपने कुर्द मामले भी प्रभावित होंगे।

