India China Relation: विदेश मंत्री एस जयशंकर की बहुप्रतीक्षित चीन यात्रा से पहले, जो गलवान झड़प (2020) के बाद पहली बार हो रही है, चीन ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। चीन ने इस मुद्दे को भारत-चीन संबंधों में एक ‘काँटा’ करार दिया है। इससे पहले शनिवार को दलाई लामा बेहद कड़ी सुरक्षा के बीच लेह हवाई अड्डे पर पहुँचे।
चीन की सख्त चेतावनी- ‘शीज़ांग से जुड़ा मुद्दा भारत के लिए बोझ’
बीजिंग स्थित चीनी दूतावास ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा कि भारत को ‘शीज़ांग’ (तिब्बत) से जुड़ी संवेदनशीलता को गंभीरता से समझना चाहिए। चीन ने कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी और पुनर्जन्म का विषय ‘पूरी तरह से आंतरिक मामला’ है, जिसमें किसी भी बाहरी हस्तक्षेप की कोई जगह नहीं है। चीनी दूतावास के प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘शीज़ांग से जुड़ा मुद्दा भारत-चीन संबंधों में एक काँटे की तरह है और यह भारत के लिए बोझ बनता जा रहा है। ‘शीज़ांग कार्ड’ खेलना भारत के लिए आत्मघाती कदम होगा।’
चीन ने भारतीय विशेषज्ञों की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई
यू जिंग ने कहा हालिया दिनों में, भारतीय सामरिक मामलों के विशेषज्ञों, पूर्व अधिकारियों और शिक्षाविदों ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी के बारे में ‘अनुचित बयान’ दिए हैं, जो चीन के मुताबिक भारत सरकार की सार्वजनिक नीति से बिलकुल भी नहीं मेल खाते। उन्होंने यह भी दावा किया कि तिब्बत में तिब्बतियों ने अपने पहनावे, खान-पान,पारंपरिक संस्कृति और वास्तुकला को स्वतंत्र रूप से बनाए रखा है। उन्होंने कुछ तस्वीरें भी शेयर कीं।
भारत ने क्या कहा?
भारत सरकार ने इस मामले पर अपना तटस्थ रुख दोहराया है। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 4 जुलाई को मीडिया को बताया – ‘भारत सरकार धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं से जुड़े मामलों पर कोई आधिकारिक रुख नहीं अपनाती है और न ही कोई टिप्पणी करती है। भारत ने हमेशा सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन किया है।’
केंद्रीय मंत्री के बयान से चीन भड़का
चीन की प्रतिक्रिया का एक कारण केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू का वह बयान है, जिसमें उन्होंने दलाई लामा के जन्मदिन समारोह में भाग लिया था और कहा था कि एक बौद्ध अनुयायी होने के नाते उनका मानना है कि उत्तराधिकारी के बारे में निर्णय लेने का अधिकार केवल दलाई लामा और उनके कार्यालय को है।
दलाई लामा का बयान और चीन का गुस्सा
इस महीने अपने 90वें जन्मदिन समारोह के दौरान, दलाई लामा ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके उत्तराधिकारी का चयन पूरी तरह से धार्मिक प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा और इसमें चीन की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। इस बयान ने चीन को और नाराज़ कर दिया। चीन चाहता है कि उत्तराधिकारी को उसकी सरकार द्वारा अनुमोदित किया जाए।
भारत में निर्वासन और दलाई लामा की उपस्थिति
दलाई लामा 1959 से भारत में निर्वासन में रह रहे हैं, जब उन्होंने तिब्बत में चीनी शासन के खिलाफ एक असफल विद्रोह का नेतृत्व किया था। भारतीय सामरिक विशेषज्ञों का मानना है कि दलाई लामा की उपस्थिति भारत के लिए एक कूटनीतिक लाभ है। वर्तमान में, भारत में लगभग 70,000 तिब्बती शरणार्थी और धर्मशाला से संचालित तिब्बती निर्वासित सरकार भी रहती है।

