अनिल चौधरी की रिपोर्ट, Ghaziabad Flood Alert: पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश और हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से छोड़े गए पानी ने गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र में बाढ़ का खतरा खड़ा कर दिया है। सोमवार सुबह बैराज से छोड़ा गया करीब 3 लाख 21 हजार क्यूसेक पानी लोनी तक पहुंच गया, जिससे यमुना नदी का जलस्तर 212 मीटर के खतरे के निशान को पार कर गया। नतीजा यह हुआ कि नदी किनारे बसे कई गांवों में पानी घुस गया और लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। लोनी क्षेत्र के इलायचीपुर, हरमपुर, बदरपुर और पचायरा जैसे गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। खेत पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं और ग्रामीणों के घरों व आंगनों तक पानी पहुंच गया है। कई परिवारों को अपना घर छोड़कर पुश्ता पर शरण लेनी पड़ी है। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चे और बुजुर्ग खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं।
सबसे बड़ी परेशानी
मजदूरी करने वाले लोगों की रोज़ी-रोटी ठप हो गई है जबकि मवेशी भी सड़क किनारे बंधे हैं। सबसे बड़ी परेशानी खाने-पीने की हो रही है। प्रशासन ने टैंकरों के जरिए पीने के पानी की व्यवस्था की है लेकिन ज़रूरतें इससे कहीं ज्यादा हैं। खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं और पशुओं के लिए चारे का संकट गहराता जा रहा है। ग्रामीणों का दर्द है कि बारिश और बैराज से छोड़े गए पानी ने उनकी मेहनत और रोज़गार छीन लिया है। हालात की गंभीरता को देखते हुए पुलिस, प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें तैनात कर दी गई हैं।
मुआवजा और मदद उपलब्ध
राहत व बचाव कार्य के लिए नाव और गोताखोर उपलब्ध कराए गए हैं। तटबंधों की निगरानी लगातार की जा रही है और जहां मिट्टी कटान से खतरा बढ़ा है वहां मरम्मत का काम कराया जा रहा है।प्रशासन की ओर से नदी किनारे बसे गांवों में मुनादी कराकर लोगों से सतर्क रहने और नदी के पास न जाने की अपील की गई है। बाढ़ प्रभावित परिवारों की सूची तैयार की जा रही है। फिलहाल 12 शरण स्थल बनाए गए हैं जहां भोजन और पानी की व्यवस्था की गई है। वहीं, पुश्तों पर शरण लेने वालों तक भी टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है। ग्रामीण उम्मीद लगाए बैठे हैं कि हालात जल्द सामान्य हों और सरकार उनकी स्थिति को समझते हुए मुआवजा और मदद उपलब्ध कराए।

