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कार खरीदने वाला आतंकी निकला तो…? बेचने से पहले जान लीजिए कानूनी नियम, नहीं पड़ेंगे पुलिस के लफड़े में

वाहन बेचने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है ओनरशिप ट्रांसफर. जब तक आपकी गाड़ी की Registration Certificate (RC) नए मालिक के नाम पर RTO में ट्रांसफर नहीं होती, वह वाहन कानूनी रूप से अभी भी आपके नाम पर माना जाता है.

Published by Renu chouhan

कई लोग सोचते हैं कि पुरानी कार या बाइक बेचना बहुत आसान है, बस खरीदार ढूंढो, पैसा लो और गाड़ी दे दो. किन असलियत में यह प्रक्रिया इतनी सीधी नहीं होती. गर आपने कानूनी औपचारिकताएं पूरी नहीं कीं, तो बाद में जुर्माना, कानूनी विवाद या ट्रैफिक चालान तक आपके नाम पर आ सकते हैं- भले ही अब गाड़ी किसी और के पास क्यों न हो. इसलिए, वाहन बेचने से पहले यह जरूरी है कि सभी डॉक्यूमेंट सही, जमा और रिकॉर्डेड हों.

सबसे जरूरी कदम – ओनरशिप ट्रांसफर कराना
वाहन बेचने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है ओनरशिप ट्रांसफर. जब तक आपकी गाड़ी की Registration Certificate (RC) नए मालिक के नाम पर RTO में ट्रांसफर नहीं होती, वह वाहन कानूनी रूप से अभी भी आपके नाम पर माना जाता है. इसका मतलब यह हुआ कि अगर गाड़ी से कोई एक्सीडेंट, ट्रैफिक नियम उल्लंघन या अपराध होता है, तो उसका रिकॉर्ड आपके नाम से जुड़ा रहेगा. इसलिए सिर्फ गाड़ी और पैसे का लेन-देन करना काफी नहीं है. चाहे आप गाड़ी किसी व्यक्ति, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या डीलरशिप को बेचें, हमेशा ध्यान रखें कि RC ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी हो.

कौन-कौन से फॉर्म जरूरी हैं?
गाड़ी बेचते समय तीन प्रमुख फॉर्म जरूरी होते हैं – Form 28, 29 और 30.

Form 28: यह No Objection Certificate (NOC) होता है, जो तब जरूरी है जब आप वाहन को किसी दूसरे राज्य में ट्रांसफर कर रहे हों.

Form 29: यह फॉर्म RTO को सूचित करता है कि आपने वाहन बेच दिया है.

Form 30: यह फॉर्म खरीदार की ओर से दिया जाता है ताकि ओनरशिप ट्रांसफर पूरा हो सके.

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इसके अलावा एक Delivery Note बनाना भी जरूरी है. इसमें खरीदार और विक्रेता दोनों के नाम, हस्ताक्षर और पहचान पत्र की कॉपी शामिल होनी चाहिए. अगर वाहन अभी भी बैंक लोन के तहत है, तो बैंक का Hypothecation NOC भी जरूरी होता है. अगर यह NOC एक महीने से पुराना है, तो उसे फिर से जारी करवाना पड़ता है.

अगर आप किसी व्यक्ति को वाहन बेच रहे हैं
अगर आप अपनी कार या बाइक किसी व्यक्ति को बेच रहे हैं, तो दोनों पक्षों के बीच एक सेल एग्रीमेंट होना चाहिए जिसमें बिक्री की तारीख, रकम और शर्तें लिखी हों. खरीदार के पहचान पत्र की फोटो कॉपी रखना बहुत जरूरी है ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो.

फॉर्म भरने के बाद खरीदार को उन्हें RTO में जमा करना होता है, लेकिन एक सेलर के रूप में आपकी जिम्मेदारी है कि यह प्रक्रिया समय पर पूरी हो. कुछ RTO दफ्तरों में दोनों पक्षों को एक साथ जाकर डिजिटल सिग्नेचर या OTP वेरिफिकेशन करना होता है. आपको हर डॉक्यूमेंट की कॉपी अपने पास रखनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर आप साबित कर सकें कि गाड़ी आपने बेच दी थी.

अगर आप डीलर या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को वाहन बेच रहे हैं
अगर आप अपनी गाड़ी किसी डीलरशिप, ऑनलाइन कार प्लेटफॉर्म या एग्रीगेटर को बेच रहे हैं, तो प्रक्रिया आपके लिए आसान हो जाती है. ऐसे प्लेटफॉर्म्स सारे जरूरी फॉर्म (Form 28, 29, 30) खुद भरते हैं और आपको एक Stamped Handover Letter देते हैं जो कानूनी रूप से वैध दस्तावेज होता है. डीलरशिप्स वाहन की ट्रांसफर या स्क्रैपिंग प्रक्रिया की जिम्मेदारी भी लेती हैं, जिससे आपको RTO जाने की जरूरत नहीं पड़ती.

फॉर्म जमा होने के बाद आपको RTO या Parivahan वेबसाइट पर जाकर ओनरशिप ट्रांसफर का स्टेटस मॉनिटर करना चाहिए. अगर कुछ समय में ट्रांसफर अपडेट नहीं होता, तो RTO में शिकायत दर्ज करें ताकि भविष्य में कोई जिम्मेदारी आपके ऊपर न आए.

Renu chouhan
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