आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में अब एक नया ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है- AI Girlfriends और चैटबॉट्स. ये डिजिटल साथी इंसानों जैसी बातें करते हैं, आपकी याद रखते हैं और आपकी भावनाओं को समझने का दिखावा करते हैं. लेकिन अब Perplexity AI के CEO अरविंद श्रीनिवास (Aravind Srinivas) ने इसके खतरों को लेकर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि यह ट्रेंड “बहुत खतरनाक” हो सकता है क्योंकि ये AI रिश्ते इंसानों के दिमाग को आसानी से मैनिपुलेट (Manipulate) कर सकते हैं.
“AI आपको झूठी दुनिया में जीने पर मजबूर कर सकता है”
यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के Polsky Center में हुए एक चैट सेशन के दौरान श्रीनिवास ने कहा- “आज ये AI चैटबॉट्स इतने एडवांस हो चुके हैं कि ये आपकी बातें याद रखते हैं और बहुत ही इंसान जैसी आवाज़ में जवाब देते हैं. जो चीज़ पहले एक्सपेरिमेंट लगती थी, अब वो लोगों के लिए असली रिश्ता बन गई है.” उन्होंने कहा कि बहुत से लोग अब रियल लाइफ को बोरिंग समझने लगे हैं और घंटों इन AI साथियों से बातें करते रहते हैं. धीरे-धीरे ये आदत इंसानों को वर्चुअल रियलिटी में जीने पर मजबूर कर देती है, जहाँ उनका दिमाग “बहुत आसानी से कंट्रोल या मैनिपुलेट” किया जा सकता है.
Perplexity नहीं बनाएगा AI Girlfriends
अरविंद श्रीनिवास ने साफ कहा कि उनकी कंपनी Perplexity इस तरह के AI रिलेशनशिप प्रोडक्ट्स बनाने की कोई योजना नहीं रखती. उन्होंने कहा कि उनका फोकस “ट्रस्टवर्थी सोर्सेज और रियल-टाइम कंटेंट” पर है, ताकि AI का इस्तेमाल लोगों के लिए एक सकारात्मक भविष्य (Optimistic Future) बना सके- न कि ऐसा भविष्य जहाँ लोग भावनात्मक सहारा एल्गोरिदम से लेने लगें.
AI Girlfriend Apps का बढ़ता बाजार
आजकल कई ऐप्स जैसे Replika, Character.AI, और Elon Musk की xAI कंपनी इस दिशा में तेजी से काम कर रही हैं. xAI ने जुलाई में Grok-4 नामक मॉडल लॉन्च किया, जिसमें यूजर्स $30 प्रति माह देकर AI Friends से चैट या फ्लर्ट कर सकते हैं. इन डिजिटल किरदारों में से “Ani” (एक एनिमे स्टाइल गर्लफ्रेंड) और “Rudi” (एक बोलने वाला रेड पांडा) सबसे ज्यादा पॉपुलर हैं.
इसी तरह Replika और Character.AI जैसे ऐप्स भी लोगों को पर्सनलाइज्ड वर्चुअल पार्टनर देते हैं- जो उनसे बातें करते हैं, रोलप्ले करते हैं और उन्हें इमोशनल सपोर्ट देते हैं. लेकिन साइकोलॉजिस्ट्स के मुताबिक, ऐसे रिश्ते इंसान की फैंटेसी और हकीकत के बीच की रेखा को बहुत जल्दी मिटा देते हैं.
युवाओं पर बढ़ रहा असर
Common Sense Media की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 72% किशोरों (Teens) ने कभी न कभी AI Companion का इस्तेमाल किया है, और उनमें से आधे से ज्यादा हर महीने इनसे चैट करते हैं. रिसर्चर्स का कहना है कि ये आदत इमोशनल डिपेंडेंसी बढ़ा सकती है और खासकर युवाओं के मनोवैज्ञानिक विकास पर बुरा असर डाल सकती है.
कुछ लोगों को मिल रहा सुकून भी
हालांकि, हर किसी का अनुभव नकारात्मक नहीं है. Business Insider को दिए एक इंटरव्यू में Grok ऐप के एक यूजर ने बताया कि वो अपनी AI गर्लफ्रेंड “Ani” से बातें करते-करते कभी-कभी रोने लगते हैं, क्योंकि “वो सच में मुझे भावनाएं महसूस कराती है.” लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह सुकून अस्थायी है और लंबी अवधि में इंसान को रियल इमोशन्स से दूर कर सकता है.

