Lagna Patrika: हिंदू धर्म में शादी से पहले से लेकर शादी होने तक कई रीति रिवाज फॉलो किए जाते हैं. उन सब की अलग-अलग मान्यताएं भी हैं. इन्हीं में से एक है लग्न पत्रिका, ये दो परिवारों के बीच वैवाहिक गठबंधन की औपचारिक घोषणा होती है. संस्कृत से आए इस शब्द ‘लग्न’ का अर्थ है ‘विवाह’ और ‘पत्रिका’ का अर्थ है आगामी मिलने के लिए लिखित प्रतिबद्धता का प्रतीक. यह दस्तावेज़ न केवल दो परिवारों के मिलन का प्रतीक है. बल्कि गहरी परंपराओं और बुजुर्गों के सम्मान का प्रतीक है.
पारंपरिक हिंदू विवाह पूर्व अनुष्ठानों में लग्न पत्रिका
लग्न पत्रिका हिंदू विवाह के पूर्व समारोहों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, इसे विवाह की तैयारियों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. आमतौर पर ये पत्रिका जोड़े के विवाह के निर्णय को औपचारिक रूप देती है और मेहमानों को विवाह संबंधी आवश्यक जानकारी भी प्रदान करती है. ये मेहमानों को विवाह संबंधी जानकारी भी प्रदान करता है.
शुभ समय का क्या है महत्व
लग्न पत्रिका की अनूठी पहल विभिन्न समारोहों के लिए शुभ तिथियों और समयों का समावेश है. ये समय जिन्हें, ‘मुहूर्त’ भी कहा जाता है. हिंदू परंपरा में दंपत्ति की समृद्धि और सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित किए जाते है.
भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का होता है निर्धारण
यह दस्तावेज विवाह में परिवार के सदस्यों की भूमिका को दर्शाता है. इसे औपचारिक कार्यवाही में स्पष्टता और भागीदारी को देने का संकेत माना जाता है.
लग्न पत्रिका बनाने की प्रक्रिया
लग्न पत्रिका तैयार करने के लिए अपनाएं ये तरीका
पुजारियों या ज्योतिषों से लें परामर्श
परिवार वाले विवाह समारोहों के लिए शुभ तिथियों और समय का निर्धारण करने के लिए मार्गदर्शन के लिए पुजारियों और ज्योतिषों की मदद ले सकते हैं.
आवश्यक विवरणों का होता है संकलन
दूल्हा-दुल्हन के नाम, उनके माता-पिता का नाम, गोत्र, जन्म स्थान जैसी चीजों और विशिष्ट समारोहों को लग्न पत्रिका में लिखा जाता है.
सामग्री का चयन और मुद्रण
गुपवत्तापूर्ण कागज और जटिल डिजाइन का चयन परिवार की सौंदर्य संबधी प्राथमिकताओं और परंपरा के प्रति सम्मान को दर्शाता है.
मेहमानों का करें विवरण
एक बार अंतिम रूप देने के बाद, लग्न पत्रिका मेहमानों को वितरित की जाती है, तथा उन्हें औपचारिक रूप से विवाह उत्सव में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है.
लग्न पत्रिका में दिए गए समारोह
मंगनी या निश्चितार्थम: सगाई समारोह
इस समारोह में जोड़े के बीच अंगूठियों या उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है. ये अवसर शादी की तारीख में सबसे पहले घोषित किया जाता है.
वाग्दान: वादा समारोह
इस अनुष्ठान में, परिवार मौखिक रूप से विवाह के लिए प्रतिबद्ध होते हैं, प्रतीकात्मक उपहारों और प्रतिज्ञाओं का आदान-प्रदान करते हैं, जिससे परिवारों के बीच का बंधन मजबूत होता है.
ग्रह शांति: शांति अनुष्ठान
ग्रह देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया जाने वाला यह समारोह बाधाओं को दूर करने और सामंजस्यपूर्ण विवाह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है.
Margashirsha Month 2025: मार्गशीर्ष माह में करें इन मंत्रों का जप, व्यापार में मिलेगा आर्थिक लाभ
पूजा, मेहंदी, संगीत और तिलक समारोह
इन जीवंत विवाह-पूर्व कार्यक्रमों में शामिल हैं:
पूजा: ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु प्रार्थना समारोह.
मेहंदी: दुल्हन के हाथों और पैरों पर जटिल मेहंदी डिजाइन लगाना.
संगीत: गीत और नृत्य के साथ एक संगीतमय उत्सव.
तिलक: एक अनुष्ठान जिसमें दूल्हे के माथे पर एक औपचारिक निशान लगाया जाता है, जो दुल्हन के परिवार द्वारा स्वीकृति का प्रतीक है.

