Shukra Pradosh Fast Special For Married Women? हिंदू धर्म में व्रत रखने का बहुत महत्व होता है, कहा जाता है कि व्रत करने से देवी-देवताओं की कृपा आप पर बनी रहती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके अलावा आध्यात्मिक रूप से व्रत करने से आत्म-संयम, मानसिक दृढ़ता और आत्मा की शुद्धि होती है. हिंदू धर्म में कई तरह के व्रत रखे जाते हैं, जिसमें से एक है प्रदोष व्रत जिसे ग्रंथों में भी बेहद खास बताया गया है.
कब है सितंबर में आखिरी प्रदोष व्रत?
प्रदोष व्रत हर माह की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि में किया जाता है और यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है. वहीं, सितंबर महीने का आखिरी प्रदोष व्रत शुक्रवार (19 सितंबर) को रखा जाने वाला है. बता दें कि अगर प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ता है, तो उसे शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है, जो भी जातक प्रदोष व्रत करता है, वो उसे जीवन में आ रहे कष्टों से मुक्ति मिलती है और उसके जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. वहीं विवाहित स्त्रियों के लिए यह शुक्र प्रदोष व्रत बेहद खास और शुभ माना जाता है, तो चलिए जानते हैं ऐसा क्यों है
क्यों हैं विवाहित स्त्रियों के लिए शुक्र प्रदोष व्रत बेहद शुभ?
शास्त्रों के अनुसार, शुक्रवार के दिन को शुक्र ग्रह से जुड़ा गाया है और शुक्र ग्रह को भोग-विलास प्रेम और रोमांस आदि का कारक बताया गया है. कहा जाता है कि कुंडली में अगर शुक्र मजबूत हो, तो दांपत्य जीवन में प्रेम और स्थिरता बनी रहती है और रिश्ते में आ रहा तनाव कम होता है. यह वजह है कि ये भी माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने वाली स्त्रियों को अखंड सौभाग्य के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन में प्रेम बना रहता है और जिंदगी खुशनुमा होती है. इसके अलावा विवाहित स्त्रियां प्रदोष व्रत करती है, तो उनके पति की आयु लंबी होती है घर में धन-समृद्धि की बरकत होती है, साथ ही पारिवारिक सौहार्द की दृष्टि से भी प्रदोष व्रत बहुत शुभ माना गया है.
किस समय करनी चाहिए प्रदोष व्रत की पूजा (Shukra Pradosh Vrat 2025 Puja Time)
शिवपुराण में प्रदोष व्रत को अत्यंत फलदायी बताया गया है और शुक्रवार का दिन स्त्रियों के सौभाग्य और लक्ष्मी प्राप्ति का दिन माना गया है. ऐसे में शुक्र प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में बेहद महत्व है. ऐसे में जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत कर रहा है, वो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही होती है. सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक के समय को प्रदोष काल कहा जाता है. वही शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा के लिए 19 सितंबर को शाम 6:21 से 8:43 का समय बेहद शुभ रहने वाला है.

