Why Is Kanya Pujan Done Only On Ashtami And Navami: माता दुर्गा के दिन यानी शारदीय नवरात्रि के दिन चल रहे हैं, इस दौरान सभी भक्त माता रानी की भक्ती में लीन नजर आते है और 9 दिनों तक चलने वाले इन दिनों में व्रत रखते है और नवरात्रि के अंतिम दिनों में यानी अष्टमी और नवमी में क्या पूजन करते हैं. शास्त्रों में भी कन्या पूजन को अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण बताया गया है. कहा जाता है, कि अगर कोई व्रत और पूजा करने बाद नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन? ना करें तो उसकी पूजा सफल नहीं मानी जाती हैं, लेकिन क्या क्या आपने कभी सोचा है कि नवरात्रि में सिर्फ अष्टमी और नवमी के दिन ही क्यों होता है कन्या पूजन? अगर हां, तो चलिए जानते हैं यहां इसका जवाब
नवरात्रि में क्यों किया जाता है कन्या पूजन?
नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक माता दुर्गा की पूजा की जाती है और कई भक्त 9 दिनों का व्रत भी रखते हैं और नवरात्रि के अंतिम दिन यानी अष्टमी और नवमी तीथी पर कन्या पूजन करते हैं, ऐसा इसलिए किया जाता हैं क्योंकि नवरात्रि के अंतिम दिन अष्टमी और नवमी तीथी में की जाने वाली कन्या पूजा मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का प्रतीक होती है. कहा जाता है कि छोटी कन्याओं में देवी शक्ति का वास होता है, इसलिए नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तीथी के दिन छोटी कन्याओं को आमंत्रित किया जाता है और उन्हें भोजन कराया जाता है और उन्हें उपहार भी दिए जाते है और उनका आशीर्वाद भी लिया जाता है, ऐसा करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
क्या है नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार में नवरात्रि के अंतिम दिन यानी अष्टमी और नवमी तीथी में कन्या पूजन का विशेष महत्व का विशेष महत्व होता है. कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तीथी में कन्या पूजन करता है, उसके सारे पाप खत्म हो जाते है और मां दुर्गा की उस पर असीम कृपा होती है. देवी भागवत पुराण में भी उल्लेख किया गया है कि नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तीथी में कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर पूजने से मोक्ष मिलता है, क्यक्ति को खूब उन्नति प्राप्त होती है, घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है और माता दुर्गा धन, संतान सुख और मानसिक शांति प्रदान करती हैं. साथ ही वास्तु दोष और पारिवारिक कलह भी खत्म होता है
शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन की विधि
शारदीय नवरात्रि में की अष्टमी और नवमी तीथी में कन्या पूजन के लिए सुबह जल्दी स्नान करके पूजा की तैयारी कर लेनी चाहिए और फिर माता दुर्गा का ध्यान कर के कन्याओं का भोग तैयार करना चाहिए और भोग में आप हल्वा पूरी बनाना चाहिए. इसके बाद घर में 2 से 10 वर्ष की नौ कन्याओं को आमंत्रित करके और उन्हेंं नौ देवियों का प्रतीक मानाकर उनकी पूजा करनी चाहिए और कुमकुम, पुष्प और अक्षत से तिलक करना चाहिए और उनके चरण धोकर शुद्ध करने चाहिए और उन्हें चुनरी ओढ़ानी चाहिए. पूजन के उपरांत कन्याओं को वस्त्र, उपहार या दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए
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