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Sawan Shivratri 2025: अगर इस खास मुहूर्त पर किया जलाभिषेक, तो खुल जाएगी किस्मत, जानें सावन शिवराात्रि की पूजा विधि और महत्व

Sawan Shivratri 2025:सावन शिवरात्रि हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना का एक विशेष पर्व है, जिसे पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह व्रत सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है और शिव भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।

Published by Divyanshi Singh

Sawan Shivratri 2025: सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस माह में आने वाली मासिक शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि कहा जाता है, जो कि शिव भक्तों के लिए बेहद शुभ और फलदायी मानी जाती है। इस बार सावन शिवरात्रि बुधवार, 23 जुलाई 2025 को मनाई जा रही है। यह महाशिवरात्रि के बाद भगवान शिव की उपासना का दूसरा सबसे बड़ा पर्व माना जाता है।

सावन शिवरात्रि 2025 की पूजन विधि (Sawan Shivratri Pujan Vidhi)

  • इस दिन सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें।

  • शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर मिलाकर पंचामृत से अभिषेक करें।

  • इसके बाद शुद्ध जल से जलाभिषेक करें।

  • शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, श्वेत पुष्प, चंदन, फल और अगरबत्ती चढ़ाएं।

  • महामृत्युंजय मंत्र या ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।

  • रात्रि में चार प्रहर की पूजा करें और रात्रि जागरण करते हुए शिव भजन, शिव स्तुति और शिव पुराण का पाठ करें।

  • अगली सुबह शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।

 सावन शिवरात्रि पर जलाभिषेक के मंत्र (Shiv Jalabhishek Mantra)

जलाभिषेक करते समय इन मंत्रों का जाप करना विशेष फलदायी माना जाता है:

 जलाभिषेक का खास मुहूर्त (Sawan Shivratri 2025 Abhishek Muhurat)

  • प्रथम मुहूर्त: सुबह 4:15 बजे से 4:56 बजे तक

  • द्वितीय मुहूर्त: सुबह 8:32 बजे से 10:02 बजे तक

 चार प्रहर पूजा के मुहूर्त (Char Pahar Pooja Muhurat)

  1. प्रथम प्रहर पूजा: शाम 7:17 बजे से रात 9:53 बजे तक

  2. द्वितीय प्रहर पूजा: रात 9:53 बजे से 12:28 बजे तक

  3. तृतीय प्रहर पूजा: रात्रि 12:28 बजे से 3:03 बजे तक

  4. चतुर्थ प्रहर पूजा: सुबह 3:03 बजे से 5:38 बजे तक

  5. निशिता काल पूजा का समय: रात 12:07 बजे से 12:48 बजे तक (41 मिनट)

सावन शिवरात्रि का महत्व (Sawan Shivratri 2025 Significance)

श्रावण शिवरात्रि हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत पुण्यदायी अवसर है। यह व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है और इसे विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के दिन के रूप में मनाया जाता है।

  • इस दिन भक्त शिवलिंग पर बेलपत्र, गंगाजल, दूध, और पंचामृत अर्पित करते हैं।

  • शिवरात्रि की रात जागरण, शिव पुराण का पाठ और मंत्र जाप का अत्यधिक महत्व होता है।

  • ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और श्रद्धापूर्वक भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

प्रमुख शिव मंदिरों में होती है विशेष पूजा

  • काशी विश्वनाथ (वाराणसी)

  • महाकालेश्वर (उज्जैन)

  • अमरनाथ (जम्मू-कश्मीर)

  • बद्रीनाथ (उत्तराखंड)
    इन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और विशेष पूजन-अर्चन तथा गंगाजल से शिव अभिषेक होता है।

 उत्तर भारत में विशेष धूम

उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में यह पर्व विशेष श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Divyanshi Singh

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