सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की भक्ति और आराधना के लिए सबसे खास माना जाता है। इस दौरान हर शिव भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय करता है। इन्हीं उपायों में सबसे महत्वपूर्ण है शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करना। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और इसके बिना शिव पूजा अधूरी मानी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने की भी एक सही विधि और सही जगह होती है? एस्ट्रो एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि बेलपत्र को सही स्थान पर और सही विधि से चढ़ाया जाए, तो भोलेनाथ हर मनोकामना पूरी करते हैं। आइए, आज हम इसी रहस्य से पर्दा उठाते हैं और जानते हैं कि सावन में शिवलिंग पर बेलपत्र किस जगह चढ़ाना सबसे फलदायी होता है।
बेलपत्र: क्यों है महादेव को इतना प्रिय?
बेलपत्र का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। शास्त्रों के अनुसार, जब भगवान शिव ने हलाहल विष पीकर सृष्टि को बचाया था, तब उनका कंठ नीला पड़ गया था और शरीर में भयंकर जलन होने लगी थी। देवताओं ने उन्हें शांत करने के लिए बेलपत्र अर्पित किए, जिससे उन्हें शीतलता मिली। तभी से बेलपत्र भगवान शिव को इतना प्रिय हो गया। बेलपत्र की तीन पत्तियां भगवान शिव के त्रिनेत्र (तीन आंखें) का भी प्रतीक मानी जाती हैं, और यह ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवों का भी प्रतिनिधित्व करती हैं।
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का सही स्थान और विधि
एस्ट्रो एक्सपर्ट्स और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने का एक विशेष क्रम और स्थान होता है जिससे अधिकतम फल मिलता है:
सबसे पहले शिवलिंग के मूल भाग पर: कहा जाता है कि शिवलिंग का मूल भाग (नीचे का हिस्सा) ब्रह्मा का निवास स्थान होता है। बेलपत्र का पहला पत्ता यहीं पर उल्टा करके (चिकना भाग शिवलिंग को छूता हुआ) चढ़ाया जाना चाहिए। इससे आपको ज्ञान और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मध्य भाग (जलधारी के पास): शिवलिंग का मध्य भाग भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व करता है। यहां बेलपत्र का दूसरा पत्ता अर्पित करें। ध्यान रहे कि बेलपत्र की डंडी शिवलिंग से दूर और पत्तियां शिवलिंग के पास हों। यह स्थान आपके जीवन में सुख-शांति और स्थिरता लाता है।
शीर्ष भाग (शिवलिंग के ऊपर): शिवलिंग का शीर्ष भाग स्वयं भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है। तीसरा बेलपत्र यहीं पर अर्पित करें, लेकिन इस बार बेलपत्र की डंडी जलाधारी की तरफ होनी चाहिए और पत्तियां आपकी तरफ। यह स्थान आपकी हर मनोकामना पूरी करने और मोक्ष की प्राप्ति के लिए उत्तम माना जाता है।
जलाधारी पर: यदि आपके पास अधिक बेलपत्र हैं, तो आप उन्हें जलाधारी पर भी चढ़ा सकते हैं। जलाधारी को देवी पार्वती का स्वरूप माना जाता है। यहां बेलपत्र चढ़ाने से वैवाहिक सुख और घर में खुशहाली आती है।
सही विधि का भी रखें ध्यान:
हमेशा साफ बेलपत्र: बेलपत्र को कभी भी बिना धोए न चढ़ाएं। जल से धोकर ही अर्पित करें।
तीनों पत्तियां साबुत हों: कटा-फटा या टूटा हुआ बेलपत्र कभी न चढ़ाएं।
चंदन का तिलक: बेलपत्र की तीनों पत्तियों पर चंदन से ‘ॐ’ या ‘राम’ लिखें।
उल्टा अर्पित करें: बेलपत्र का चिकना भाग हमेशा शिवलिंग को छूना चाहिए, यानी पत्ता उल्टा करके चढ़ाएं।
मन में मंत्र: बेलपत्र चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” या “महादेवाय नमः” मंत्र का जाप करें।
सुबह का समय: बेलपत्र अर्पित करने का सबसे उत्तम समय सुबह का होता है।
सावधानियां:
सोमवार, अमावस्या, संक्रांति और चतुर्थी को बेलपत्र तोड़ना वर्जित माना जाता है। यदि आवश्यक हो तो इन तिथियों से एक दिन पहले तोड़ कर रख लें।
बेलपत्र को बासी नहीं माना जाता। यदि आपको ताजे बेलपत्र न मिलें, तो आप पहले से चढ़ाए हुए बेलपत्र को धोकर पुनः चढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष: हर मनोकामना होगी पूरी
सावन 2025 में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए बेलपत्र अर्पित करने की यह विधि बहुत ही महत्वपूर्ण है। एस्ट्रो के इन निर्देशों का पालन करते हुए यदि आप सच्चे मन से बेलपत्र चढ़ाते हैं, तो निश्चित रूप से भगवान भोलेनाथ आपकी हर मनोकामना पूर्ण करेंगे। यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि महादेव के प्रति आपकी अटूट श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक भी है।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

