Pitru Paksha Date 2025: अगर बनते हुए काम बिगड़ जाते हैं या जीवन में बहुत मेहनत करने के बाद भी सफलता हासिल नहीं हो रही है। संतान न होना, विवाह न होना और घर न बन पाने जैसी बड़ी समस्याओं से अगर जीवन में तनाव चल रहा है तो इसका एक कारण पितरों की नाराजगी भी हो सकती है। अगर पितरों को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद ले लिया जाए, तो रुके हुए काम बन जाते हैं। वैसे तो पितरों को रोजाना प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए लेकिन जो लोग प्रतिदिन यह कार्य नहीं कर पाते हैं, उन्हें पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों को प्रसन्न करने के पूरे प्रयास करने चाहिए। पितरों को प्रणाम करने के लिए सबसे उपयुक्त समय आ रहा है पितृपक्ष। इसको एक बार समझ कर अपने पितरों के प्रति श्रद्धा रखते हुए श्राद्ध कर आशीर्वाद प्राप्त करें।
क्या है पितृपक्ष?
पितृपक्ष यानी कि पितृ के लिए एक पखवारा। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर अमावस्या तक के ये 15 दिन पितृपक्ष के माने जाते हैं। इस दौरान लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और नियमित रूप से पितरों को जल देने का कार्य करते हैं।
पूर्वजों के आशीर्वाद बिना नहीं बनते है काम
अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए पितृपक्ष से अच्छा कोई अवसर नहीं हो सकता है। इस दौरान पितृऋण यानी कि पितरों का ऋण चुकाने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि किया जाता है। पितर अप्रत्यक्ष रूप से अदृश्य रहते हुए व्यक्ति के जीवन को संवारने निखारने और उसे आगे बढ़ाने का कार्य करते हैं। पितरों के आशीर्वाद के बिना सफलता भी कदम नहीं चूमती है तो वहीं पितरों की नाराजगी से जीवन के संघर्ष और बढ़ जाते हैं इसलिए किसी भी शुभ कार्य के समय पितरों का आवाहन किया जाता है, जिससे उनका आशीर्वाद मिल सके। पितृपक्ष के दौरान शास्त्रों में बताए गए सभी नियमों का पालन विधि पूर्वक करना चाहिए। जिससे वह प्रसन्न होकर हमें आशीर्वाद दे क्योंकि पितर प्रसन्न हो तो उन्रति देते हैं और जबकि उनकी नाराजगी पतन की ओर ले जाती है। इसलिए जिन लोगों के भी पूर्वज है वह इस दौरान ऐसा कोई भी कार्य न करें जिससे उन्हें पितरों की नाराजगी का सामना करना पड़े।
इस तिथि से शुरु हो रहें है श्राद्ध
वर्ष 2025 में 7 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो जाएगी जिसका समापन 21 सितंबर को होगा। श्राद्ध मृत्यु तिथि के अनुसार ही करना चाहिए, जिन लोगों को भी अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के बारे में नहीं पता है वह भाद्रपद मास की पूर्णिमा या फिर आश्विन मास की अमावस्या तिथि पर श्राद्ध कर सकते हैं। तिथि अनुसार श्राद्ध करने के लिए श्राद्ध तिथि के बारे में पता होना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 की श्राद्ध सूची इस प्रकार है-
07 सितम्बर, रविवार- पूर्णिमा श्राद्ध
08 सितम्बर, सोमवार- प्रतिपदा श्राद्ध
09 सितम्बर, मंगलवार- द्वितीया श्राद्ध
10 सितम्बर, बुधवार- तृतीया श्राद्ध- चतुर्थी श्राद्ध
11 सितम्बर, गुरुवार- पंचमी श्राद्ध
12 सितम्बर, शुक्रवार- षष्ठी श्राद्ध
13 सितम्बर, शनिवार- सप्तमी श्राद्ध
14 सितम्बर, रविवार- अष्टमी श्राद्ध,महालक्ष्मी व्रत
15 सितम्बर, सोमवार- नवमी श्राद्ध, मातृ नवमी
16 सितम्बर, मंगलवार- दशमी श्राद्ध
17 सितम्बर, बुधवार- एकादशी श्राद्ध
18 सितम्बर, गुरुवार- द्वादशी श्राद्ध
19 सितम्बर, शुक्रवार- त्रयोदशी श्राद्ध
20 सितम्बर, शनिवार- चतुर्दशी श्राद्ध
21 सितम्बर, रविवार- सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध

