Navratri 2025: इस बार शारदीय नवरात्र का प्रारंभ 22 सितंबर दिन सोमवार से हो रहा है. नवरात्रि का पर्व शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की उपासना कर उनसे शक्ति प्राप्त करने का अवसर देता है. यदि आपके मन में भी उपवास, देवी की आराधना को लेकर इस तरह का विचार है तो अभी से प्लान कर लें और शारदीय नवरात्र के साथ इसकी शुरुआत.
श्री राम से सीखा शारदीय नवरात्र में उपवास
नवरात्रि के उपवास को लेकर धर्मग्रंथों में त्रेतायुग की एक कथा का उल्लेख मिलता है. राक्षस जाति के रावण द्वारा प्रभु श्री राम की पत्नी मां जानकी को लंका ले जाने के बाद उन्हें अशोक वाटिका में रखा. उनकी वापसी के सारे प्रयत्न निष्फल हो जाने के बाद श्री राम ने किष्किंधा नरेश सुग्रीव, जामवंत आदि के साथ मंत्रणा कर लंका पर विजय पाने के लिए युद्ध का निर्णय लिया तो देवर्षि नारद ने युद्ध के पूर्व नवरात्रि का उपवास कर शक्ति के आह्वान का सुझाव दिया था. उनके सुझाव पर ही श्री राम ने किष्किंधा पर्वत पर एक सिंहासन बनाकर, उसमें मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर नौ दिनों तक उपवास रखकर उनकी आराधना की थी. माना जाता है कि उनकी आराधना से प्रसन्न होकर मां ने प्रकट होकर उन्हें युद्ध में विजयी होने का वरदान दिया था. श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे और उनके द्वारा किया गया उपवास एक परंपरा बन गया. आज भी उपवास की उसी परंपरा को निभाया जा रहा है.
शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य ठीक करता उपवास
उपवास का आध्यात्मिक महत्व तो है ही, शारीरिक महत्व भी कम नहीं है. जो लोग डाइजेस्टिव प्रॉब्लम, अधिक वजन, टॉक्सिसिटी आदि से पीड़ित हों उन्हें उपवास करने से लाभ मिलता है. यह धारणा भी गलत है कि उपवास करने से कमजोरी आती है, वास्तविकता तो यही है कि इससे शरीर में इम्यूनिटी बढ़ती है और व्यक्ति ऊर्जावान रहता है. उपवास में फल एवं अन्य सात्विक सुपाच्य चीजों का ही सेवन किया जाता है जो शरीर की टॉक्सिसिटी को खत्म करने के साथ ही मेटाबॉलिज्म ठीक करता है जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है. शारीरिक के साथ ही उपवास के आध्यात्मिक लाभ भी हैं जो मन को शांति प्रदान करने के साथ ही आत्म नियंत्रण और धैर्यशीलता को बढ़ाने में मदद करता है जिससे मन और आत्मा की शुद्धि होती है. धर्म शास्त्रों के अनुसार शक्ति की उपासना में उपवास भी किया जाए तो मां दुर्गा जल्द प्रसन्न होती हैं.
उपवास का सूक्ष्म संदेश
नवरात्र का उपवास एक सूक्ष्म संदेश भी देता है. जिस तरह उपवास कर श्री राम ने राक्षसों का संहार कर माता सीता को मुक्त कराया उसी तरह भक्त भी उपवास करने के साथ ही अपने भीतर क्रोध, लालच, अत्याचार रूपी राक्षसी गुणों का परित्याग करें. तभी उपवास की सार्थकता होगी.

