Masik Shivratri 2025: मासिक शिवरात्रि व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है. मार्गशीर्ष माह की शिवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. यह दिन भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट अवसर माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक शिवरात्रि व्रत रखने से सुख, शांति, स्वास्थ्य और मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद मिलता है. आइए जानें मार्गशीर्ष शिवरात्रि पूजा का समय और विधि.
नवंबर मासिक शिवरात्रि 2025 (Masik Shivratri 2025)
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि मंगलवार, 18 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी. मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 18 नवंबर को सुबह 7:12 बजे शुरू होगी और 19 नवंबर को सुबह 9:43 बजे समाप्त होगी. इस तिथि पर रात्रिकालीन पूजा (निशिता काल) का विशेष महत्व है, इसलिए यह व्रत 18 नवंबर को रखा जाएगा.
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 18 नवंबर 2025, सुबह 7:12 बजे.
- चतुर्दशी तिथि समाप्त: 19 नवंबर 2025, सुबह 9:43 बजे.
- निशिता काल पूजा मुहूर्त: रात 11:42 बजे से 12:36 बजे तक.
मासिक शिवरात्रि पूजा विधि (Masik Shivratri 2025)
- सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- पूजा शुरू करने से पहले व्रत और पूजा का संकल्प लें.
- एक पाटे पर भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग स्थापित करें.
- शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से अभिषेक करें.
- शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन, पुष्प आदि अर्पित करें.
- धूपबत्ती और दीप जलाएँ और सफेद मिठाई या अन्य प्रसाद चढ़ाएँ.
- इसके बाद पूरे शिव परिवार की एक साथ पूजा करें.
- मासिक शिवरात्रि व्रत कथा का पाठ करें या सुनें.
- अंत में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए आरती करें.
मासिक शिवरात्रि का महत्व (Masik Shivratri 2025)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद पाने, पापों से मुक्ति पाने और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है. अविवाहित महिलाएं अच्छे पति के लिए, विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए, जबकि पुरुष मानसिक शांति और करियर में उन्नति के लिए मासिक शिवरात्रि का व्रत रखते हैं.
मासिक शिवरात्रि पर क्या करें?
धन प्राप्ति हेतु
आर्थिक तंगी दूर करने के लिए, मासिक शिवरात्रि पर शिवलिंग पर पीले चंदन से लिपटा हुआ तीन मुखी रुद्राक्ष स्थापित करें और उस पर एक लोटा शुद्ध जल चढ़ाएँ.
मंगल दोष निवारण हेतु
मासिक शिवरात्रि पर गंगाजल में लाल फूल और लाल चंदन मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें. फिर भगवान के मंत्रों का जाप करें.
पितृदोष निवारण हेतु
मासिक शिवरात्रि पर सेंधा नमक के सात टुकड़े या एक चम्मच पिसा हुआ नमक झाड़ू पर सात बार घुमाकर घर के बाहर फेंक दें. अपने पूर्वजों का स्मरण करें.

