Maa Saraswati: हिंदू मान्यता के अनुसार, देवी सरस्वती दिन में एक बार हमारी जीभ पर विराजमान होती हैं. आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा, “हमेशा सकारात्मक बातें बोलें क्योंकि कौन जाने कब देवी सरस्वती हमारी जीभ पर विराजमान हो जाएं.” लोग तो यहां तक सलाह देते हैं कि आत्म-चर्चा हमेशा सकारात्मक होनी चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि कोई नहीं जानता कि हमारी कही कोई बात कब, कहां और कैसे सच हो जाए. अगर ऐसा होता है, तो लोग बस यही कहते हैं, “उस समय मां सरस्वती आपकी जीभ पर विराजमान थीं.”
इस समय सरस्वती जीभ पर विराजमान होती हैं
मान्यता के अनुसार, जब देवी सरस्वती हमारी जीभ पर विराजमान होती हैं, तो उस समय हम जो कहते हैं वह शत-प्रतिशत सत्य हो जाता है. अब सवाल यह है कि देवी सरस्वती हमारी जीभ पर कब विराजमान होती हैं? बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं. शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त में देवी सरस्वती हमारी जीभ पर विराजमान होती हैं. ब्रह्म मुहूर्त हमेशा सूर्योदय से डेढ़ घंटा पहले शुरू होता है. यह समय सुबह 3:30 से 5:30 बजे के बीच होता है. इस दौरान योग और ध्यान का अभ्यास करना बेहद फायदेमंद होता है. यह वह समय होता है जब देवी सरस्वती हमारी जिह्वा पर विराजमान होती हैं. इस दौरान हमें कुछ भी बोलने से पहले सोच-समझकर बोलना चाहिए. इस दौरान बोले गए हर शब्द का बहुत महत्व होता है.
केवल सकारात्मक शब्द ही बोलें
हमें ब्रह्म मुहूर्त में हमेशा सकारात्मक शब्द ही बोलने चाहिए. ऐसा करने से हमारे जीवन में हर चीज़ का सकारात्मक परिणाम मिलेगा. हमें इस दौरान किसी के बारे में भूलकर भी नकारात्मक बातें कहने से बचना चाहिए. इससे हमारे जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है.
ब्रह्म मुहूर्त में ये काम करने चाहिए
ब्रह्म मुहूर्त में उठें और अपने इष्ट देवता का मन ही मन स्मरण करें. अगर आप इस दौरान ध्यान करना चाहते हैं, तो वह भी कर सकते हैं. अगर आप मंत्र जाप करते हैं, तो ब्रह्म मुहूर्त से बेहतर कोई समय नहीं है. अगर आप इसे अपनी दिनचर्या बना लें, तो आपको जो शांति का अनुभव होगा, वह दुनिया में कहीं और नहीं मिलेगा. ये तीन काम ब्रह्म मुहूर्त में ही करने चाहिए. इसलिए ब्रह्म मुहूर्त में किया जाने वाला हर काम सोच-समझकर करना चाहिए.

