Lakshmi Narasimha Swamy Mandir: भारत में अनगिनत मंदिर हैं, जिनकी अपनी अलग पहचान और महत्व है। इनमें से कई मंदिर अपनी विशेषताओं और रहस्यों के कारण लोगों के दिलों में खास जगह रखते हैं। ऐसा ही एक मंदिर तेलंगाना के वारंगल जिले के मल्लुर गाँव में भी स्थित है।यह हेमचल लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर है। इस अनोखे मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि भगवान नरसिंह आज भी यहाँ जीवित रूप में विराजमान हैं। यह विशेष मंदिर न केवल एक पूजा स्थल है, बल्कि आस्था और चमत्कार का संगम है, जहाँ आने वाला हर भक्त दैवीय शक्तियों का अनुभव करता है। इस मंदिर की अद्भुत विशेषताएँ विज्ञान को भी हैरान कर देती हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें।
भगवान नरसिंह की ये है बड़ी विशेषता
लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ विराजमान भगवान नरसिंह की मूर्ति पत्थर या किसी धातु से नहीं बनी है, बल्कि मानव त्वचा की तरह कोमल दिखती है। लोगों का मानना है कि जब मूर्ति पर फूल रखा जाता है, तो वह दबकर अंदर चला जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब मूर्ति पर बहुत ज़्यादा दबाव डाला जाता है, तो उसमें से रक्त जैसा लाल रंग का द्रव भी निकलता है। यह द्रव मूर्ति की नाभि से लगातार बहता रहता है, जिसे पुजारी चंदन का लेप लगाकर रोकने की कोशिश करते हैं। यही कारण है कि भक्त इस मूर्ति को ‘जीवित’ मानते हैं।
क्या मूर्ति साँस लेती है?
लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर के पुजारी और यहाँ आने वाले भक्तों का दावा है कि जब कोई व्यक्ति मूर्ति के पास जाता है, तो उसे ऐसा लगता है जैसे मूर्ति साँस ले रही है।भक्तों का ऐसा मानना है कि इस जगह पर भगवान नरसिंह की दिव्य शक्ति हमेशा सक्रिय रहती है, जो यहाँ आने वालों को अपनी उपस्थिति का एहसास कराती है।
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मंदिर के पास बहती है पवित्र धारा
बता दे कि, मंदिर के पास एक पवित्र धारा बहती है, जिसको चिंतामणि जलपथम भी कहा जाता है। ऐसा बताया गया है कि यह जल भगवान नरसिंह के चरणों से उत्पन्न हुआ था। इतना ही नहीं भक्त इस जल में स्नान कर इसे घर भी ले जाते हैं और ये जल औषधीय गुणों से पूरी तरह भरपूर है जो तन-मन को शुद्ध करता है।
मंदिर का समय और विशेष मान्यताएँ
हेमचल लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर सुबह 8:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और फिर दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है। खास बात यह है कि शाम 5:30 बजे के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस समय के बाद भगवान नरसिंह आसपास के जंगलों में विचरण करने निकल जाते हैं, इसलिए मंदिर में दर्शन का समय सीमित होता है।
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मल्लूर कैसे पहुँच सकते है?
मल्लूर पहुँचने के लिए सड़क, रेल और हवाई मार्ग उपलब्ध हैं। वारंगल, मनुगुरु और भद्राचलम-एडुलापुरम रोड से बसें आसानी से उपलब्ध हैं। यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन मनुगुरु है, जहाँ से मंदिर कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है। हवाई मार्ग से आने वाले यात्री हैदराबाद के राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से सड़क या रेल मार्ग से यहाँ पहुँच सकते हैं।
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