राधा और भगवान श्री कृष्ण का प्रेम हमेशा से पवित्र और सर्वोच्च माना गया है. उनकी लीलाएँ और कथाएँ सदियों से भक्तों के हृदय को छूती आई है आधुनिक युग में भी प्रेम का सबसे पवित्र रूप राधा-कृष्ण ही माना जाता है. वृंदावन की गलियों में आज भी उनके प्रेम के गीत गूंजते हैं.
राधा और कृष्ण का प्रेम
राधा और कृष्ण का प्रेम केवल भौतिक प्रेम नहीं था, बल्कि यह आध्यात्मिक प्रेम की सर्वोच्च मिसाल है. यह प्रेम दो हृदयों के मिलन का प्रतीक ही नहीं, बल्कि मानव और परमात्मा के बीच आत्मिक संबंध का परिचायक भी है. वृंदावन की गलियाँ आज भी उनकी अनेक लीलाओं का प्रमाण देती हैं.
राधा का प्रेम त्याग, समर्पण और भक्ति का स्वरूप था. वे जानती थीं कि कृष्ण उनसे दूर जाएंगे, फिर भी उनका प्रेम कभी डिगा नहीं. वहीं कृष्ण का राधा के प्रति प्रेम भी अद्वितीय था. कृष्ण ने राधा को अपने हृदय में बसाकर द्वारका चले गए, लेकिन उनके मन में राधा हमेशा जीवित रहीं.
कृष्ण के वृंदावन छोड़ने के बाद राधा का क्या हुआ ?
राधा और कृष्ण के विरह की कहानी अत्यंत पीड़ादायक है और पढ़ने वालों की आँखें नम कर देती है। जब कृष्ण कंस को मारने के लिए वृंदावन से मथुरा जाने लगे, तो उन्होंने वृंदावन वासियों और राधा से अलविदा कहा और फिर मिलने का वचन दिया.
कृष्ण के जाने के बाद राधा के जीवन का वर्णन बहुत कम मिलता है.
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1. शादी और संतान की मान्यता
- कुछ मान्यताओं के अनुसार, कृष्ण के मथुरा जाने के बाद राधा ने किसी यादव से शादी कर ली.
- उनके बच्चे भी हुए और उन्होंने अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ जीवन बिताया.
- इसके बावजूद, कृष्ण के प्रति उनका प्रेम हमेशा अडिग और अटूट रहा.2. छाया राधा और घर छोड़ना
- गर्ग संहिता और ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार, कृष्ण के जाने के बाद राधा ने अपना घर छोड़कर कदली वन चली गईं.
- वहां उन्होंने ‘छाया राधा’ या मायावी राधा को छोड़ दिया, जिसका विवाह गोपों से हुआ.
3. कृष्ण की बांसुरी और देह त्याग
- कृष्ण के अंतिम क्षणों में, राधा ने उनसे आखिरी बार अपनी बांसुरी की धुन सुनने की इच्छा व्यक्त की.
- कृष्ण ने बांसुरी बजाई और सुनते-सुनते राधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया
- राधा का आत्मा कृष्ण में विलीन हो गया.
4. कृष्ण के बाद राधा की मृत्यु
- कई पुराणों में राधा की मृत्यु का स्पष्ट उल्लेख नहीं है।
- कुछ मान्यताओं के अनुसार, राधा गोलोक चली गईं या आध्यात्मिक क्षेत्र में लौट गईं।
- राधा-कृष्ण की अंतिम भेंट
राधा और कृष्ण की अंतिम मुलाकात कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के समय हुई थी. जब कृष्ण गोकुल छोड़कर मथुरा जा रहे थे, उन्होंने गोपियों और राधा से फिर मिलने का वचन दिया था. यह वचन द्वापर युग में ब्रह्मसरोवर घाट, कुरुक्षेत्र में पूरा हुआ.
राधा की अंतिम इच्छा थी कि वह कृष्ण को बांसुरी बजाते हुए देखें. कृष्ण ने उनकी यह इच्छा पूरी की, और कथाओं के अनुसार, बांसुरी की मधुर धुन सुनते-सुनते राधा कृष्ण में विलीन हो गईं.

