Dev Deepawali 2025: आज कार्तिक पूर्णिमा और इस दिन देव दीपावली का त्योहार बेहद धूमधाम से मनाया जाता हैं. इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती हैं. इसके अलावा आज गंगा में स्नान और दीपदन का भी बेहद महत्व बताया गया हैं. कई लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत भी करते हैं. चलिए जानते हैं यहां देव दीपावली की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है.
देव दीपावली का शुभ मुहूर्त (Dev Deepawali 2025 Puja Shubh Muhurat)
देव दीपावली के दिन पूजा प्रदोष काल में किया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार देव दीपावली की पूजा का शुभ मुहूर्त 5 नवंबर को शाम 5 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा, जो शाम 7 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. कुल मिलाकर आपको देव दीपावली के दिन पूजा के लिए 2 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा.
देव दीपावली की पूजन विधि क्या है? (Dev Deepawali 2025 Pujan Vidhi)
देव दीपावली के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, स्नानादि करें. फिर अपने घर के मंदिर को साफ करें और वहा घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं. इसके बाद भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा पूरे विधि विधान से करें. इसके बाद देव दीपावली की शाम की पूजा में शिव चालीसा और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें, अंत में शिव जी, विष्णु जी और कार्तिकेय भगवान की आरती करें, ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवानकार्तिकेयका जन्मदिन होता हैं. इसके बाद पूरे घरमें दीपक प्रज्वलित करें.
भगवान शिव जी की आरती ( Bhagwan Shiv Ji ki Aarti)
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा.
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव…
एकानन चतुरानन पंचानन राजे,
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव…
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे,
त्रिगुण रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय शिव…
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी,
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ॐ जय शिव…
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ॐ जय शिव…
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता,
जगकर्ता जगभर्ता जग संहारकर्ता॥ ॐ जय शिव…
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका,
प्रणवाक्षर में शोभित यह त्रिवेद का टीका॥ ॐ जय शिव…
शिव ओंकारा शिव ओंकारा हर ऊंकारा,
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव…
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा.
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव…
भगवान विष्णु जी की आरती (Bhagwan Vishnu Ji ki Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे.
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का.
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी.
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता.
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति.
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे.
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा.
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा.
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे.
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥
भगवान कार्तिकेय की आरती (Bhagwan Kartikeya Ji ki Aarti)
जय जय आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय.
शिव जी के पूत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा से क्या फल मिलता है?
मान्यताओं के अनुसार, जो कोई भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा से भगवान कार्तिकेय की पूजा करता हैं, उसे जीवन में शौर्य, बुद्धि, विजय, मनोबल और ऊर्जा की प्राप्त होती है. जीवन से शत्रु का नाश, रोग खत्म, दुख और दरिद्रता दूर होती है और संतान प्राप्ति व सुख-शांति भी मिलती है. इसके अलावा भगवान कार्तिकेय की पूजा से आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति मिलती है.
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