Kanwar Yatra 2025: सावन के महीने में कांवड़ यात्रा करने का बेहद महत्व होता है, शिवभक्त बड़ी श्रद्धा से गंगाजल लेने जाते है और शिवलिंग का जल अभिषेक करते हैं। कहा जाता है कि सावन में जो कोई भी व्यक्ती कांवड़ यात्रा करता है, उस पर भोले की कृपा बरसती है और उस व्यक्ति के सारे दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं। कांवड़ यात्रा को एक प्राचीन हिंदू तीर्थयात्रा भी माना जाता है और कहा जाता है, जो व्यक्ती इसे शुरु करता है,उसे यह यात्रा कभी भी बीच में नहीं छोड़नी चाहिए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदीं किसी कारणवश यात्रा बीच में छोड़नी पड़े तो क्या होता है, तो आज हम आपको बताते हैं।
क्यों नहीं बीच में छोड़नी चाहिए कांवड़ यात्रा (Why Should One Not Leave The Kanwar Yatra midway?)
कांवड़ यात्रा बेहद कठिन यात्रा में से एक है और यह एक तरह की तपस्या के तौर पर मानी जाती हैं और इसलिए भगवान शंकर को खुश करने के लिए शिवभक्त ये कठिन यात्रा करते और अपनी भक्ती दिखते हैं। कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ में नियमों का विशेष पालन करना होता है, लेकिन अगर यात्रा बीच में छोड़ दी जाए तो व्यक्ति को दोष लगता है।
कांवड़ यात्रा बीच में छोड़ने से लगता है पाप (Leaving The Kanwar Yatra midway Is Considered A Sin)
कांवड़ यात्रा कई कारण से छूट सकती है, जैसे कोई दुर्घटना होना, सेहत अचानक खराब हो जाना, परिवार में कोई अप्रिय घटना हो जाना, तो ऐसे में कांवड़ यात्रा बीच में छोड़ी जा सकती है, इसके लिए आप उसी समय भोलेनाथ से क्षमा प्रार्थना कर सकते है और अगले साल यात्रा को दौबारा करने का संकल्प कर सकते है। लेकिन अगर कोई श्रद्धालु जानबूझकर कांवड़ यात्रा बीच में छोड़ता है, तो वो पाप का भागीदारी होता है।
क्यों कंधे पर रखकर लाते है कांवड़ (Why Do We Carry Kanwad On Our Shoulders?)
बता दें कि पुरानी मान्यताओं के अनुसार कांवड़ को कंधे पर उठाकर चलना अहंकार को त्यागने का प्रतीक माना जाता है और ऐसी भी मान्यता है कि कंधे पर कांवड़ रखकर गंगाजल लाने से सारे पाप खत्म होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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