Dhirendra Shastri News: हरियाणा में बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की ‘सनातन एकता पदयात्रा’ बुधवार (12 नवंबर) को पांचवें भी निकलीं. बुधवार को यात्रा पलवल के तुमसरा गांव से निकली. इस दौरान गांव खटेला सराय के पास धीरेंद्र शास्त्री की तबीयत खराब हो गई, जिसके चलते वह सड़क पर ही लेट गए.
आचानक खराब हुई तबीयत
बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की “हिंदू एकता पदयात्रा” का आज छठा दिन था. हरियाणा के पलवल जिले के खटेला सराय गांव में धीरेंद्र शास्त्री अचानक बीमार पड़ गए और सड़क पर लेट गए. 100 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा बुखार होने के कारण डॉक्टर ने दो दिन आराम करने की सलाह दी. हालांकि, दवा लेने और कुछ देर आराम करने के बाद, उन्होंने अपनी यात्रा फिर से शुरू कर दी.घटना के दौरान, धीरेंद्र शास्त्री के लिए तुरंत एक डॉक्टर को बुलाया गया. जांच करने पर उनका बुखार 100 डिग्री से ऊपर पाया गया. डॉक्टरों ने आराम करने की सलाह दी, लेकिन शास्त्री ने हार नहीं मानी. दवा लेने और कुछ देर आराम करने के बाद, उन्होंने अपनी यात्रा फिर से शुरू कर दी. इस दौरान यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने उनका हौसला बढ़ाया. धीरेंद्र शास्त्री ने स्वयं कहा, “यह यात्रा हिंदू एकता के लिए है; बीमारी इसे रोक नहीं सकती.”
आतंकवाद पर दिया था बड़ा बयान
आपकों बता दें इससे पहले यात्रा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने आतंकवाद और एकता पर कड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था, ‘अगर हिंदू एकजुट होंगे तो कोई विस्फोट नहीं होगा.‘ आतंकवाद की घटनाओं में एक ही समुदाय के लोगों का नाम क्यों आता है? यह सवाल हर हिंदू के मन में उठना चाहिए. अभी आठ लोग मारे गए हैं, अगर हम एकजुट नहीं हुए तो 80 हजार मरेंगे.‘ उन्होंने कहा, ‘हिंदुओं को एकजुट होने में जितनी देर लगेगी, उतना ही हिंदू कम होता जाएगा. कई शहरों को दहलाने की साजिश रची गई. इतनी एकता होनी चाहिए कि दंगा भड़काने वाले अपने घरों से बाहर न निकलें. विदेशी ताकतें हमें डराने के लिए यह सब कर रही हैं. हम सभी भारतीयों को एकजुट होकर मुंहतोड़ जवाब देना होगा. दिल्ली ब्लास्ट के बाद हमने पदयात्रा में गाना-बजाना बंद कर दिया है.
पूरे उत्साह और जोश से आगे बढ़ रही यात्रा
पलवल के तुमसरा गांव से आज शुरू हुई यह यात्रा 16 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. यह चार दिनों में 16 नवंबर को वृंदावन पहुंचेगी. पूरे जोश और उत्साह से भरी हुई यात्रा में लगभग 20,000 से 25,000 श्रद्धालु पैदल चल रहे हैं.. जगह-जगह छतों और क्रेनों से पुष्प वर्षा की गई. शास्त्री जी ने स्वयं जमीन पर बैठकर भोजन किया और एक बुज़ुर्ग श्रद्धालु के साथ ढोल बजाकर माहौल को खुशनुमा बनाया. यात्रा का उद्देश्य हिंदू समुदाय को एकजुट करना है और धीरेंद्र शास्त्री का उत्साह इसे और मजबूत कर रहा है. बुखार के बावजूद उनकी निरंतर प्रगति उनकी भक्ति का प्रतीक है.

