Chandra Grahan Eating Food: साल का आखिरी और दूसरा चंद्र ग्रहण पूरे देश में लग गया है। इससे जुड़ी कई मान्यताएं हैं कि इस समय क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. उनमें से एक है कि चंद्रग्रहण के दौरान बचे हुए भोजन का क्या करना चाहिए।
चंद्रग्रहण के दौरान बचा हुआ भोजन क्या करें?
भारतीय संस्कृति में चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण को विशेष महत्व दिया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल के दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा और सूक्ष्म जीवाणुओं की सक्रियता बढ़ जाती है। इस कारण ग्रहण के दौरान बने या खुले भोजन को ग्रहण के बाद खाने की परंपरा नहीं है। आइए जानते हैं कि यदि घर में भोजन बच जाए तो क्या किया जा सकता है।
1. धार्मिक दृष्टिकोण से भोजन का त्याग
ग्रहण के बाद बहुत से लोग बचा हुआ भोजन त्याग देते हैं। शास्त्रों में माना गया है कि ग्रहण काल का असर भोजन पर पड़ता है और यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए कई घरों में यह भोजन पशुओं, पक्षियों या गाय को अर्पित कर दिया जाता है। इसे पुण्य कार्य भी माना जाता है।
2. तुलसी पत्र का उपयोग
ग्रहण से पहले यदि भोजन में तुलसी का पत्ता डाल दिया जाए तो माना जाता है कि वह भोजन ग्रहण के दुष्प्रभाव से सुरक्षित रहता है। तुलसी पत्ते में प्राकृतिक जीवाणुरोधी गुण भी पाए जाते हैं। यदि ग्रहण के बाद वही भोजन खाना हो तो तुलसी पत्ते डालकर रखने से यह अपेक्षाकृत सुरक्षित रहता है।
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3. स्वास्थ्य की दृष्टि से सावधानी
वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो ग्रहण के दौरान भोजन खराब होने का कारण वातावरण में परिवर्तन और सूक्ष्म जीवाणुओं की तेजी से वृद्धि मानी जाती है। इसलिए यदि भोजन खुला पड़ा हो तो उसे दोबारा खाने से पहले अच्छी तरह गरम कर लेना चाहिए। दाल, सब्जी या चावल को दोबारा उबालने से बैक्टीरिया नष्ट हो सकते हैं।
4. पशु-पक्षियों को खिलाना
यदि आप धार्मिक मान्यताओं का पालन करते हैं और ग्रहण के बाद वह भोजन स्वयं नहीं खाना चाहते तो इसे फेंकने के बजाय पक्षियों या आवारा पशुओं को खिला सकते हैं। इससे भोजन व्यर्थ भी नहीं जाएगा और दान का फल भी मिलेगा।

