Ahoi Ashtami: एक पवित्र हिंदू व्रत है, जो विशेषत: माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना कर करती हैं.यह व्रत कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है.2025 में पंचांग अनुसार यह व्रत 13 अक्टूबर, सोमवार को होगा.
- अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर, दोपहर 12:24 बजे से शुरू होकर 14 अक्टूबर, सुबह 11:10 बजे तक रहेगी
- पूजा एवं अनुष्ठान का शुभ मुहूर्त शाम के समय है, करीब 05:59 बजे से 07:14 बजे तक
- चंद्रमा की उदय तथा तारों की दृष्टि के बाद व्रत का पारण किया जाता है.
पूजा विधि और अनुष्ठान
स्नान एवं संकल्प
सुबह जल्दी उठकर शुद्ध स्नान करें और मन में संकल्प लें कि आप इस व्रत को अपने बच्चों की रक्षा, स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना से कर रही हैं.
अहोई माता की रूप रेखा
घर की दीवार पर या पेड़ पर अहोई माता की आकृति बनाएं.यह चित्र ‘आठ कोष्ठक’ में होना चाहिए.साथ ही, बच्चे और अन्य जीवों की आकृतियां बनानी चाहिए, जैसे हिरण, गाय आदि.
पूजा सामग्री एवं विधि
मंदिर स्थल को स्वच्छ कर दीपक, धूप, रोली, अक्षत, जल आदि रखें.पूजन समय में चावल, फल और खीर अर्पित करें.पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुनें या पाठ करें.
उपवास एवं पारण
दिन भर निर्जला व्रत रखा जाता है यानी न तो भोजन और न ही जल.शाम को तारों की दृष्टि के बाद ही व्रत खोलना चाहिए.यदि चंद्रमा भी देखा जाए, तो विशेष पुण्य मिलता है.
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महत्व
इस व्रत का मूल उद्देश्य माता अहोई से यह प्रार्थना करना है कि वे अपने बच्चों पर कृपा करें और उन्हें बीमारियों और संकटों से सुरक्षित रखें.
कहा जाता है कि जो माँ श्रद्धा और नियम से यह व्रत रखती हैं, उन्हें बच्चों की रोगमुक्ति, दीर्घायु और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
यह व्रत माता-पुत्र के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है और पारिवारिक सौहार्द बढ़ाता है.

