Navratri Food in Jail : क्या जेल में भी होती है नवरात्र की धूम? जानें कैदियों को साथ कैसा होता है व्यवहार

Navratri Food in Jail: जेलों में नवरात्रि पर कैदियों को व्रत की अनुमति, सात्विक भोजन, पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन की सुविधा मिलती है. आस्था का सम्मान करते हुए जेल प्रशासन विशेष डाइट देता है.

Published by sanskritij jaipuria

Navratri Food in Jail: जब बात जेलों की होती है, तो ज्यादातर लोगों को लगता है कि वहां पर बस सजा ही मिलती है, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इन चार दीवारों के भीतर रहने वाले लोग त्योहारों का एक्सपीरिएंस कैसे करते हैं? खासकर नवरात्रि जैसे धार्मिक अवसरों पर, क्या कैदियों को व्रत, पूजा या भक्ति से जुड़ने का मौका मिलता है?

जवाब है- हां. देश की कई जेलों में नवरात्रि के दौरान कैदियों को न केवल व्रत रखने की अनुमति दी जाती है, बल्कि उन्हें विशेष भोजन, पूजा की सुविधा और भजन-कीर्तन तक की व्यवस्था दी जाती है.

कैदी भी मनाते हैं नवरात्रि

जेल के अंदर कैदियों को भी धर्म और आस्था से जुड़ने की स्वतंत्रता दी जाती है. चाहे वो उपवास हो, पूजा-पाठ हो या भजन-कीर्तन, जेल प्रशासन उनकी धार्मिक भावनाओं का सम्मान करता है.

नवरात्रि के दौरान कई कैदी नौ दिनों का व्रत रखते हैं. इसके लिए उन्हें विशेष रूप से तैयार सात्विक भोजन दिया जाता है, जिसमें अनाज और सामान्य नमक का प्रयोग नहीं होता. इस तरह, जेल में रहकर भी कैदी अपने धार्मिक विश्वासों को जीवित रख पाते हैं.

व्रत के लिए क्या मिलता है खाने में?

नवरात्रि व्रत के लिए कैदियों को पूरी तरह सात्विक और शुद्ध भोजन दिया जाता है, जिसमें ये चीजें शामिल हो सकती हैं:

 साबूदाना खिचड़ी
 कुट्टू या सिंगाड़ा आटे की पूड़ी/रोटी
 उबले आलू की सब्जी (बिना प्याज-लहसुन)
 फल: केला, सेब, संतरा, पपीता
 दूध, दही या छाछ
 मूंगफली, सिंघाड़ा, मखाना आदि
 व्रत की विशेष चटनी

कुछ कैदी सिर्फ शाम को भोजन करते हैं, तो उन्हें समय के अनुसार खाना दिया जाता है. तिहाड़ जैसी बड़ी जेलों में इन व्यवस्थाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है.

धार्मिक काम भी होते हैं जेल में

नवरात्रि के दौरान कई जेलों में माता की पूजा, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं:

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 मंदिर या पूजा स्थल पर जाने की अनुमति.
 सामूहिक पूजा और दुर्गा अर्चना.
 अगरबत्ती, फूल जैसी पूजा सामग्री की अनुमति (सुरक्षा नियमों के अधीन).
 कुछ जगहों पर नवरात्रि के लिए छोटा सा आयोजन भी किया जाता है.

इन गतिविधियों का उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना भी होता है.

त्योहारों पर बनता है खास मेन्यू

त्योहारों पर जेलों में कभी-कभी विशेष भोज की भी व्यवस्था की जाती है. उदाहरण के लिए:

 पश्चिम बंगाल की जेलों में दुर्गा पूजा के समय मटन बिरयानी या चिकन करी बनाई जाती है (जो व्रत न रखने वालों के लिए होती है).
 व्रतधारियों के लिए शाकाहारी विकल्प जैसे फल, दूध और साबूदाना खिचड़ी उपलब्ध होती है.
 कई जेलों की कैंटीन में व्रत-सामग्री खरीदने की सुविधा भी होती है.

खाने की क्वालिटी: हर राज्य की अलग कहानी

जेलों में दिए जाने वाले खाने की गुणवत्ता हर राज्य में सेम नहीं होती.

 कुछ जेलों (जैसे बिहार की नवादा मंडल कारा या यूपी की फतेहगढ़ जेल) को FSSAI की 5-स्टार रेटिंग मिली है.
 वहीं, कई जगहों पर घटिया क्वालिटी और गंदगी की शिकायतें भी सामने आती रही हैं.
 NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, जेल बजट का 47.9% हिस्सा सिर्फ खाने पर खर्च होता है.

हाल के वर्षों में कोर्ट के निर्देश और FSSAI की निगरानी से हालात में सुधार देखने को मिला है.

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