Yamuna River Flood: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कुछ इलाकों में यमुना नदी का पानी घुस गया है। इससे बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। यमुना का पानी यमुना बाजार के रिहायशी इलाके में घुस गया है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इलाके का दौरा किया और पानी में उतरकर लोगों से बातचीत की। मुख्यमंत्री ने मंगलवार (19 अगस्त, 2025) बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करते हुए कहा कि, “सुबह जलस्तर 206 डिग्री सेल्सियस को छूने वाला था। इसलिए पानी यहां तक पहुंच गया है, लेकिन अच्छी बात है कि यह इससे आगे नहीं बढ़ा।
एक दो दिन में पानी हो जाएगा कम
इसके अलावा, उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि, मैंने कंट्रोल रूम में जानकारी ली है, पानी तेजी से आ रहा है और आगे बढ़ रहा है। पानी सिर्फ निचले इलाकों में आया है। लोग यहीं बसे हुए हैं। हमने उनसे सुरक्षित जगह पर जाने का अनुरोध किया था। मैंने खुद हालात देखे हैं। एक-दो दिन में पानी कम हो जाएगा। हमने पानी, खाने-पीने और चिकित्सा की व्यवस्था कर दी है। हम सोलर लाइटें उपलब्ध करा रहे हैं।”
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रेखा गुप्ता और प्रवेश वर्मा ने यमुना के बढ़ते जलस्तर का लिया जायजा
इससे पहले सोमवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और मंत्री प्रवेश वर्मा ने यमुना के बढ़ते जलस्तर का जायजा लिया था। मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा, “यमुना घाट और आसपास के इलाकों का दौरा किया और बाढ़ प्रबंधन की तैयारियों की विस्तार से समीक्षा की। असिता घाट, यमुना छठ घाट, 12 नंबर रेगुलेटर और नियंत्रण कक्ष समेत कई जगहों पर व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।”
यमुना की क्या स्थिति है?
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, दिल्ली के पुराने रेलवे पुल पर यमुना नदी का जलस्तर सुबह 8 बजे 205.79 मीटर तक पहुंच गया, जो निकासी स्तर 206 मीटर से थोड़ा कम है। सोमवार दोपहर नदी का जलस्तर 205.55 मीटर तक पहुंच गया था, जो खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गया था।
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केंद्रीय बाढ़ कक्ष के अधिकारी ने क्या कहा?
केंद्रीय बाढ़ कक्ष के एक अधिकारी ने कहा, “यमुना का जलस्तर मुख्य रूप से वजीराबाद और हथिनीकुंड बैराज से हर घंटे बड़ी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण बढ़ रहा है।” बाढ़ नियंत्रण विभाग के अनुसार, वर्तमान में हथिनीकुंड बैराज से हर घंटे लगभग 38,361 क्यूसेक पानी और वज़ीराबाद बैराज से हर घंटे 68,230 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।
पुराना रेलवे पुल नदी के प्रवाह और संभावित बाढ़ के खतरों की निगरानी का मुख्य केंद्र है। दिल्ली के लिए चेतावनी का निशान 204.50 मीटर है, जबकि खतरे का निशान 205.33 मीटर है। बैराज से छोड़े गए पानी को दिल्ली पहुंचने में आमतौर पर 48 से 50 घंटे लगते हैं।

