केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आज देश के भविष्य के लिए कई बड़े और दूरगामी बदलावों की नींव रखकर गई है. सरकार ने न सिर्फ़ आगामी वर्षों की योजनाओं के लिए भारी-भरकम वित्तीय मंज़ूरी दी है, बल्कि कई महत्वपूर्ण नीतियों में सुधार कर नागरिकों के जीवन को सीधे प्रभावित करने वाले कदम उठाए हैं.
इन फ़ैसलों में सबसे प्रमुख है 2027 की राष्ट्रीय जनगणना। इसे महज़ एक गिनती नहीं, बल्कि एक डिजिटल क्रांति बनाने की तैयारी है, जिसके लिए ₹11,718 करोड़ का बड़ा बजट पास किया गया है. लेकिन यह जनगणना पिछली बार से पूरी तरह अलग कैसे होगी?
साथ ही, सरकार ने देश के ऊर्जा क्षेत्र को मज़बूती देने के लिए कोल लिंकिंग पॉलिसी में अहम सुधार कर ‘कोल सेतु’ बनाने को मंज़ूरी दी है, जिसका सीधा असर देश भर में कोयले की सप्लाई पर पड़ेगा. वहीं, एक बड़ा कदम उठाते हुए नारियल किसानों के लिए भी तीन बड़े फ़ैसले लिए गए हैं, जिसमें खोपरा के MSP से जुड़ी पॉलिसी भी शामिल है.
डिजिटल जनगणना दो फेज़ में होगी
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 2027 की नेशनल जनगणना दो फेज़ में होगी, जो 28 फरवरी और 1 मार्च, 2027 की आधी रात से शुरू होगी। दूसरा फेज़ फरवरी 2027 में शुरू होगा, और पहाड़ी इलाकों में यह सितंबर 2026 में होगा। पहली डिजिटल जनगणना 2027 में होगी. जनगणना का डिजिटल डिज़ाइन डेटा सिक्योरिटी को ध्यान में रखकर बनाया गया है. नागरिकों के पास मोबाइल एप्लिकेशन के ज़रिए खुद गिनती करने का ऑप्शन होगा. जनगणना 2027 के लिए ₹11,718 करोड़ का बजट मंज़ूर किया गया है.
जनगणना में जाति न बताने का ऑप्शन
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आने वाली जनगणना में जवाब देने वालों को अपनी जाति बताने से छूट दी जाएगी. उन्होंने कहा कि सिर्फ़ इकट्ठा किया गया डेटा ही पब्लिश किया जाएगा, जबकि व्यक्तिगत लेवल का डेटा डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP) के अनुसार गोपनीय रहेगा. मंत्री ने कहा कि ये सुरक्षा उपाय जनगणना के दौरान प्राइवेसी और डेटा सिक्योरिटी दोनों पक्का करते हैं.
जनगणना का प्रोसेस कैसे बदलेगा?
डिजिटल जनगणना के तहत, हर बिल्डिंग को जियो-टैग किया जाएगा. ऐप में इंग्लिश और हिंदी समेत 16 से ज़्यादा भाषाओं के ऑप्शन मिलेंगे. सरकार ने बताया कि इस बार माइग्रेशन से जुड़े डिटेल्ड सवाल पूछे जाएंगे, जैसे जन्म की जगह, पिछला घर, रहने का समय और दूसरी जगह जाने का कारण. सबसे ज़रूरी बात, 1931 के बाद पहली बार, सिर्फ़ SC/ST कम्युनिटी का ही नहीं, बल्कि सभी कम्युनिटी का जाति से जुड़ा डेटा इकट्ठा किया जाएगा.
डिजिटल जनगणना के फ़ायदे
डिजिटलाइज़ेशन से डेटा इकट्ठा करने और रिपोर्ट तैयार करने में काफ़ी तेज़ी आएगी. डेटा अब रियल टाइम में अपलोड किया जाएगा, और अनुमान है कि शुरुआती डेटा 10 दिनों में और फ़ाइनल रिपोर्ट 6-9 महीनों में मिल जाएगी. पहले, पेपर फ़ॉर्म की वजह से इस प्रोसेस में कई साल लग जाते थे.
तेज़ और सही डेटा 2029 के लिए नई लोकसभा सीटें तय करने, फ़ंड बांटने और सरकारी स्कीमों की प्लानिंग करने में मदद करेगा. ऑटो-चेकिंग, जियो-टैगिंग, और लोगों के लिए खुद जानकारी भरने का ऑप्शन होने से गलतियाँ और छूटे हुए घर कम हो जाएँगे.

