UKSSSC Graduate Level Exam Controversy: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC ) द्वारा 21 सितंबर को आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा एक बार फिर सुर्खियों में है. पेपर लीक की घटना के बाद छात्रों ने बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू कर दिया था. लगातार विरोध और छात्रों की मांगों को देखते हुए, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की जाँच के आदेश दिए हैं.
कैसे हुआ विवाद शुरू
21 सितंबर को हुई परीक्षा के दौरान, आधे घंटे के भीतर ही पेपर के तीन पन्ने व्हाट्सएप पर लीक हो गए. जांच में पता चला कि पेपर असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को खालिद मलिक नाम के एक व्यक्ति ने भेजा था और इस पूरी घटना में खालिद की बहन सबिया भी शामिल थी. दोनों आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. पेपर लीक की पुष्टि के बाद, छात्र और बेरोज़गार संगठनों ने पूरे राज्य में, खासकर राजधानी देहरादून में, विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जहाँ बड़ी संख्या में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया.
सरकार की सख्त कार्रवाई और परीक्षा रद्द
छात्रों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हमारे लिए छात्र और युवा सर्वोपरि हैं; उनके भविष्य से समझौता नहीं किया जाएगा.” इसके बाद, सरकार ने 5 अक्टूबर को परीक्षाएँ रद्द करने का अहम फैसला लिया. छात्रों ने मुख्यमंत्री के इस कदम का स्वागत किया और अपना आंदोलन समाप्त कर दिया.
नई तारीख की घोषणा: 16 नवंबर को परीक्षा
परीक्षा रद्द होने के बाद से छात्र नई परीक्षा तिथि का इंतज़ार कर रहे थे. आयोग ने अब नई परीक्षा तिथि की घोषणा कर दी है. पहले यह परीक्षा 5 अक्टूबर को होनी थी, लेकिन अब यह 16 नवंबर 2025 को होगी. आयोग ने लाइब्रेरियन परीक्षा के नतीजे भी जारी कर दिए हैं. सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस बार सुरक्षा और पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी.
सरकार और आयोग की नई रणनीति
पेपर लीक की घटनाओं को रोकने के लिए, आयोग ने अपनी निगरानी व्यवस्था को और मज़बूत करने का फ़ैसला किया है. परीक्षा केंद्रों पर डिजिटल निगरानी, कड़ी जांच और तकनीकी ऑडिट जैसे उपाय लागू किए जाएंगे.
इस पूरी घटना ने उत्तराखंड में सरकारी भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हालांकि, सरकार और आयोग का कहना है कि इस साल की परीक्षा पूरी निष्पक्षता, पारदर्शिता और कड़े सुरक्षा उपायों के साथ आयोजित की जाएगी ताकि छात्रों का विश्वास बहाल हो सके.

