शतीश शर्मा की रिपोर्ट, Udaipur: उदयपुर जिले के आदिवासी बहुल कोटड़ा क्षेत्र के पाथरवाड़ी गांव में मंगलवार को एक दर्दनाक हादसा हो गया। पीएमश्री योजना के तहत निर्माणाधीन सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के हॉल का छज्जा गिरने से 12 वर्षीय बालिका की मौत हो गई, जबकि एक अन्य बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई। हादसे के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश है और उन्होंने निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल का आरोप लगाया है।
जानकारी मिले
जानकारी के अनुसार, मृतका मोली (12) पुत्री श्यामा, कोटड़ा के गउ पीपल गांव की रहने वाली थी और कुछ दिन पहले ही मामा के घर पाथरवाड़ी आई थी। हादसे के समय वह अपनी सहेली पायल (11) पुत्री राकेश के साथ स्कूल भवन के पास खेल रही थी। तभी अचानक निर्माणाधीन हॉल का छज्जा भरभराकर गिर गया और दोनों उसके मलबे में दब गईं। स्थानीय लोगों ने तुरंत उन्हें बाहर निकाला और अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मोली को मृत घोषित कर दिया। घायल पायल का इलाज जारी है।
घटनास्थल पर पुलिस और अधिकारी पहुंचे
सूचना मिलते ही कोटड़ा थाना पुलिस, डीएसपी राजेंद्र सिंह राठौड़ और अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। डीएसपी ने बताया कि हादसा निर्माणाधीन स्कूल भवन में हुआ, जहां फिलहाल कक्षाएं संचालित नहीं हो रही थीं। स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम पास के पुराने भवन में चल रहा था। हादसे के बाद ग्रामीणों ने मौके पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनका कहना है कि निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग हुआ है, जिसके कारण छज्जा गिरा। लोगों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं और निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच कराने की बात कही है।
जाने पूरा मामला
बता दे कि राजस्थान में हाल के दिनों में स्कूल भवनों से जुड़े हादसों की संख्या बढ़ी है। 25 जुलाई को झालावाड़ के पिपलोदी सरकारी स्कूल में दीवार गिरने से सात बच्चों की मौत हो गई थी। वहीं, स्वतंत्रता दिवस के दिन बूंदी जिले में दो हादसे हुए एक प्राइवेट स्कूल में फॉल्स सीलिंग गिरने से पांच छात्र घायल हुए, जबकि नैनवां के राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल फतेहगंज में कार्यक्रम के दौरान कमरे की दीवार गिर गई। गनीमत रही कि वहां कोई हताहत नहीं हुआ। उदयपुर शिक्षा विभाग के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर (ADPC) ननिहाल सिंह ने बताया कि पीएमश्री योजना के तहत स्कूल का नया भवन बन रहा था और फिलहाल उस भवन में कक्षाएं संचालित नहीं थीं। हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए तकनीकी जांच कराई जाएगी। ग्रामीणों का कहना है कि दोषी ठेकेदार और अधिकारियों पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाहियां न हों। इस हादसे ने एक बार फिर से ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में स्कूल भवनों की सुरक्षा और निर्माण को गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए है।
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