Categories: देश

कर्नाटक में कांग्रेस के सामने एमपी वाला ‘संकट’, जाएगी सिद्धारमैया की सत्ता? डीके शिवकुमार करेंगे ‘खेला’!

कर्नाटक कांग्रेस (Karnataka Congress) के अंदर सत्ता संघर्ष अब अपने चरम पर तेज़ी से पहुंच चुकी है. जहां, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Chief Minister Siddaramaiah) और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) दोनों ही अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.

Published by DARSHNA DEEP

Karnataka Congress Crisis:  कर्नाटक कांग्रेस के अंदर सत्ता संघर्ष तेज़ी से अपमे चरम पर पहुंच चुका है. जहां राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (डीकेएस) दोनों ही अपने रुख से पीछे हटने को बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं. इसके अलावा डीकेएस ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट करते हुए लिखा कि उसे आर-पार की लड़ाई के संकेत के रूप में फिलहाल देखा जा रहा है.

कांग्रेस का ‘बुजुर्गों’ की तरफ झुकने का इतिहास

कांग्रेस पार्टी का इतिहास यह भी बताता है कि जब भी नेतृत्व संकट आता है, हमेशा बुजुर्ग और अनुभवी नेताओं की तरफ झुकने के प्रति ही देखा गया है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साल 2020 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था, जिसके बाद से कमलनाथ की सरकार गिर गई थी. तो वहीं, उसी साल सचिन पायलट ने राजस्थान में बगावत की लेकिन पार्टी में ही बने रहे, लेकिन बाद में उन्हें हाशिये पर धकेल दिया गया था. 
अब, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार भी उसी दोराहे पर खड़े नज़र आ रहे हैं. 

सचिन पायलट का रास्ता यह बताता है कि धीरज रखना चाहिए, और  उम्मीद में कि उम्र और धैर्य उन्हें भविष्य में “बुजुर्ग होने का माइलेज” ज़रूर देगा. तो वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया का रास्ता बताता है कि अपने समर्थक विधायकों के साथ बगावत करके इस्तीफा दें, और “फिर जो होगा देखा जाएगा” को ही ध्यान में रखकर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए. 

क्या डीकेएस को सीएम बनाने का वादा हो सकेगा पूरा?

साल 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद, पार्टी हाईकमान ने डीकेएस को यह आश्वासन दिया था कि सिद्धारमैया पहले 2.5 साल के लिए मुख्यमंत्री  रहेंगे और नवंबर 2025 में कार्यकाल पूरा होने पर डीकेएस को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. हांलाकि, यह संकट ज्यादा इसलिए भी बढ़ गया है कि सीएम सिद्धारमैया ने कथित तौर पर इस्तीफा देने से पूरी तरह से मना कर दिया है, जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में हंगामा देखने को मिल रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कांग्रेस हाईकमान सिद्धारमैया के पक्ष में खड़ी हुई दिखाई दे रही है, जिसे डीकेएस के समर्थकों को ज़रा सा भी अच्छा नहीं लग रहा है. तो वहीं, इसी बीच डीकेएस ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर शेयर किया, जिसका सीधा-सीधा मतलब यही निकाला जा रहा है कि पार्टी को किया गया वादा पूरी तरह से निभाना चाहिए. 

तो वहीं, दूसरी तरफ डीकेएस के समर्थक इस समय दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और पार्टी के अंदर ज़ोरदार हंगामा होने की आशंका जतारई जा रही है. 

Related Post

सिंधिया का विकल्प: बगावत और त्यागपत्र

साल 2018 में सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में आई, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया, बल्कि उनकी जगह पर कमलनाथ को चुना गया था. साल 2020 में लोकसभा चुनाव हारने और राज्यसभा सीट पर दिग्विजय सिंह को प्राथमिकता मिलने के बाद, सिंधिया ने मार्च में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और फिर उसके बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.  सिंधिया समर्थक विधायकों ने भी कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिससे कमलनाथ की सरकार केवल 15 महीने में ही गिर गई थी. इसके अलावा सिंधिया को बाद में बीजेपी ने राज्यसभा भेजा और वह केंद्रीय मंत्री बने.

डीकेएस के लिए ‘करो या मरो’ की क्या है गणित?

डीके शिवकुमार के लिए सिंधिया वाला रास्ता अपनाना आसान नहीं, पर संभव है.  कर्नाटक विधानसभा में कुल विधायक संख्या 224 है, बहुमत के लिए 113 विधायकों का समर्थन होना अनिवार्य है. तो वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी-एनडीए के पास 82 विधायक हैं. डीकेएस को सत्ता पलटने के लिए 31 और विधायकों (113 – 82) को तोड़ना होगा. यह मुश्किल इसलिए भी है क्योंकि,  कांग्रेस के पास 137 विधायक हैं, इसलिए पार्टी को तोड़ने के लिए 2/3 विधायकों लगभग 92 विधायक को तोड़ना होगा, जो डीकेएस के लिए पूरी तरह से अंसभव साबित करता है. 

पार्टी को तोड़ने के लिए उन्हें कम से कम 25 विधायकों को इस्तीफा देने के लिए तैयार करना होगा, अगर 25 विधायक इस्तीफा देते हैं, तो विधानसभा की संख्या 199 हो जाएगी और बहुमत का आंकड़ा 100 पर ही आ जाएगा. 

कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद आगे की रणनीति?

कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद, एनडीए (82 विधायक) को केवल 18 और विधायकों के समर्थन की ही ज़रूरत पड़ेगी, जिसे निर्दलीय और बचे हुए विधायकों के सहारे बेहद ही आसान तरीके से हासिल किया जा सकता है. 

उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की राजनीतिक ताकत को देखते हुए उनके समर्थकों का यह मानना है कि अगर वह ‘अपने पर आ जाएं’ तो यह 25 विधायकों को इस्तीफा दिलाने का कार्य जल्द ही करा सकतें हैं. इसलिए, कर्नाटक राज्य में यह सियासी हंगामा बेहद ही खतरनाक मोड़ पर है, जिसका परिणाम कर्नाटक की सरकार और कांग्रेस के भविष्य दोनों को पूरी तरह से प्रभावित भी कर सकता है. 

DARSHNA DEEP

Recent Posts

DDLJ के हुए 30 साल पूरे , लंदन में लगा ऑइकोनिक ब्रॉन्ज स्टैच्यू, फोटोज हुईं वायरल

DDLJ Completes 30 Years: फिल्म DDLJ के 30 साल पूरे होने पर लंदन के लीसेस्टर…

December 5, 2025

Putin India Visit: आतंकवाद से लेकर न्यूक्लियर एनर्जी तक, संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में PM मोदी की 10 बड़ी बातें! देखती रह गई पूरी दुनिया

भारत-रूस शिखर सम्मेलन के बाद हुई संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में PM मोदी ने दोस्ती को…

December 5, 2025

कौन थी रतन टाटा की सौतेली माँ सिमोन टाटा? 95 साल की उम्र में निधन, Lakmé को बनाया था भारत का नंबर-1 ब्रांड

लैक्मे (Lakmé) को भारत का नंबर 1 ब्रांड बनाने वाली सिमोन टाटा का 95 वर्ष…

December 5, 2025