Parliament Members Wear Headphones: संसद का मानसून सत्र चल रहा है। सदन की कार्यवाही के दौरान आपने देखा होगा कि हमारे सांसद हेडफ़ोन लगाकर बैठते हैं और जब बहुत शोर होता है, तो हेडफ़ोन पहनकर ही अपनी बात रखते हैं। वे हेडफ़ोन क्यों लगाते हैं? संसद में इनका क्या उपयोग है? दरअसल सदन की कार्यवाही मुख्यतः अंग्रेज़ी और हिंदी में होती है। लोकिन अगर कोई सांसद हिंदी या अंग्रेज़ी बोलने में सहज नहीं है, तो वह अपनी क्षेत्रीय भाषा में अपनी बात रख सकता है।
सांसद हेडफ़ोन के ज़रिए क्या सुनते हैं?
लेकिन अपनी क्षेत्रीय भाषा में में बोलने से ये समस्या होती है कि हर कोई हर किसी के क्षेत्रीय से परिचित नहीं होता है। जिससे की एक-दूसरे की बात को समझने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, सभी सांसदों को हेडफ़ोन इसीलिए दिए जाते हैं, ताकि दूसरों को उनकी भाषा समझने में आसानी हो। आपने देखा होगा कि जब कोई सांसद भाषण देता है, तो बाकी लोग हेडफ़ोन पहने रहते हैं। दरअसल, जब कोई सांसद अपनी भाषा में बोलता है, तो अनुवादक उसकी बातों का दूसरी भाषाओं में अनुवाद करके हेडफ़ोन के ज़रिए सुनता है। इससे सभी सांसद दूसरी भाषाओं में अनुवाद करके बहस और भाषण को अच्छी तरह समझ पाते हैं और संसद में अपनी बात रख पाते हैं।
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इन भाषाओं का अनुवाद सुविधा उपलब्ध
संविधान के अनुच्छेद 120 के तहत, संसद के दोनों सदनों का कामकाज हिंदी या अंग्रेजी में होता है। ऐसे में, सदस्यों को भाषा संबंधी कोई समस्या न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए 7 सितंबर 1964 को लोकसभा में अनुवाद की डबल चैनल व्यवस्था शुरू की गई थी। ऐसे में, जो सदस्य हिंदी या अंग्रेजी में बात नहीं कर पाते थे, वे अपनी भाषा में अनुवाद करके सुनते थे। नवंबर 1969 में, यह सुविधा आठवीं अनुसूची की कुछ और भाषाओं तक फिर से बढ़ा दी गई। वर्तमान में, असमिया, बंगाली, कन्नड़, मलयालम, मणिपुरी, मैथिली, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु और उर्दू भाषाओं में समकालिक अनुवाद सुविधा उपलब्ध है।

