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Pandra News, Odisha: अधिवक्ता ने की आत्मदाह की कोशिश, पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया शव, जाने पूरा मामला…

Odisha News: राजधानी भुवनेश्वर के पंड्रा इलाके से गुरुवार शाम एक बेहद दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई।

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अक्षय महाराणा की रिपोर्ट, Odisha News: राजधानी भुवनेश्वर के पंड्रा इलाके से गुरुवार शाम एक बेहद दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई। यहाँ एक अधिवक्ता ने घर की छत पर जाकर आत्मदाह का प्रयास किया और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। मृतक की पहचान स्थानीय निवासी दीपक कुमार साहू के रूप में हुई है। जानकारी के मुताबिक, गुरुवार देर शाम दीपक साहू अपनी बेटी के साथ बाज़ार से लौटे। घर आने के कुछ समय बाद वे अकेले ही छत पर गए।

आग की तेज़ लपटों ने घेरा पूरे शरीर को

वहां उन्होंने पेट्रोल छिड़ककर खुद को आग के हवाले कर दिया। कुछ ही मिनटों में तेज़ लपटों ने पूरे शरीर को घेर लिया। आग की तीव्रता इतनी ज़्यादा थी कि पड़ोसी मदद के लिए दौड़े, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। परिजन और आसपास के लोग उन्हें अस्पताल ले जाने से पहले ही वे दम तोड़ चुके थे। जानकारी के मुताबिक दीपक पिछले कुछ समय से गंभीर मानसिक तनाव से गुजर रहे थे। वे डॉक्टर की देखरेख में भी थे। डॉक्टर ने उन्हें तनाव और चिंता से दूर रहने की सलाह दी थी, लेकिन बावजूद इसके वे अवसाद से जूझते रहे। दीपक अक्सर अकेले रहते और चुपचाप रहते थे। उनके इस कदम ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है।

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इकलौते पुरुष सदस्य थे दीपक

जानकारी के मुताबिक, वर्तमान में दीपक परिवार के इकलौते पुरुष सदस्य थे। उनके अचानक चले जाने से पत्नी, बेटी और पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। परिजनों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे और मोहल्ले में मातम पसरा हुआ है। आसपास के लोग भी इस घटना को लेकर बेहद स्तब्ध हैं। घटना की खबर मिलते ही पुलिस तुरंत मौके पर पहुँची। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक प्राथमिक जांच में यह आत्मदाह का मामला प्रतीत हो रहा है, लेकिन सही कारणों का पता लगाने के लिए विस्तृत जांच की जा रही है। परिजनों और पड़ोसियों के बयान भी लिए जा रहे हैं।

स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बेहद जरुरी

यह घटना एक बार फिर इस ओर इशारा करती है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता कितनी आवश्यक है। अगर समय पर उन्हें सही परामर्श और परिवार का सहयोग मिलता तो शायद यह दर्दनाक स्थिति टल सकती थी। अवसाद और तनाव जैसी स्थितियों में व्यक्ति को अकेला न छोड़कर, बातचीत और भावनात्मक सहारा देना ज़रूरी है।

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