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त्योहारों में तोहफा..इन राज्यों में चलेगी विकास की पटरी! मोदी सरकार ने दी चार नई रेल लाइनों को मंजूरी

मोदी सरकार ने 24,634 करोड़ की लागत से 4 रेलवे परियोजनाओं को मंजूरी दी, जिससे 4 राज्यों के 18 जिलों में 894 किमी रेल नेटवर्क का विस्तार होगा और 85 लाख लोगों को फायदा मिलेगा.

Published by sanskritij jaipuria

Cabinet Decision : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 अक्टूबर 2025 को रेलवे से जुड़ा एक बड़ा फैसला लिया. सरकार ने चार बड़ी रेलवे परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनकी कुल लागत 24,634 करोड़ रुपये है. ये परियोजनाएं महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ के 18 जिलों को जोड़ेंगी और रेलवे नेटवर्क को और मजबूत बनाएंगी.

कौन-कौन सी रेल लाइनें बनेंगी?

सरकार ने जिन चार नई रेल लाइनों को मंजूरी दी है, वो हैं:

 वार्धा से भुसावल (तीसरी और चौथी लाइन) – 314 किलोमीटर
 गोंदिया से डोंगरगढ़ (चौथी लाइन) – 84 किलोमीटर
 वडोदरा से रतलाम (तीसरी और चौथी लाइन) – 259 किलोमीटर
 इटारसी से भोपाल और बीना (चौथी लाइन) – 237 किलोमीटर

इन सभी प्रोजेक्ट्स की कुल लंबाई 894 किलोमीटर होगी, जिससे रेलवे नेटवर्क में अच्छी-खासी बढ़ोतरी होगी.

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85 लाख लोगों को फायदा

इन प्रोजेक्ट्स से करीब 85.84 लाख लोगों को सीधा फायदा मिलेगा. रेलवे का जाल अब उन 3,633 गांवों तक पहुंचेगा, जो अभी तक अच्छी कनेक्टिविटी से दूर थे. इसके अलावा, विदिशा (मध्य प्रदेश) और राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) जैसे आकांक्षी जिलों में भी विकास को रफ्तार मिलेगी.

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

इन नई रेल लाइनों से सिर्फ यात्रा नहीं, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. कई मशहूर जगहें जैसे सांची स्तूप, भीमबेटका गुफाएं, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, हाजरा जलप्रपात और नवेगांव नेशनल पार्क अब ट्रेन से और आसानी से पहुंचने लायक हो जाएंगी. इससे देशभर से पर्यटक इन जगहों पर पहुंच सकेंगे.

इंडस्ट्रियल विकास के लिए भी जरूरी

इन रेल रूट्स का इस्तेमाल सिर्फ यात्रियों के लिए नहीं, बल्कि माल ढुलाई (गुड्स ट्रांसपोर्ट) के लिए भी होगा. खासकर कोयला, सीमेंट, फ्लाई ऐश, खाद्यान्न, स्टील और कंटेनर जैसी चीजों को तेजी से एक जगह से दूसरी जगह भेजा जा सकेगा. इससे कारोबारियों को भी बड़ा फायदा मिलेगा.

सरकार ने कहा है कि इन प्रोजेक्ट्स से रेलवे की लाइन क्षमता बढ़ेगी, जिससे ट्रेनों की आवाजाही ज्यादा बेहतर और समय पर हो पाएगी। इससे रेलवे की विश्वसनीयता, सुरक्षा और सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। यह कदम मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी यानी सड़क, रेल और जलमार्गों के बेहतर तालमेल की दिशा में भी एक बड़ी पहल है.

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