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Video: डेटा तो है पर ‘मेटा डेटा’ नहीं! India News Manch से केंद्रीय मंत्री मांडविया ने खेल जगत की किस बड़ी कमी पर किया वार?

'India News Manch 2025' पर केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने देश के खेल भविष्य को लेकर एक ऐसी रणनीति साझा की है, जो युवाओं की सोच और भारत के स्पोर्ट्स मैप को पूरी तरह बदल देगी। जानिए PM मोदी के उस 'होलिस्टिक विजन' के बारे में जिसने देश में हलचल मचा दी है.

Published by Shivani Singh

केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने ‘India News Manch 2025’ में देश के खेल परिदृश्य और भविष्य के विजन पर अपने विचार साझा किए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत में डेटा की कमी नहीं है, बल्कि ‘मेटा डेटा’ और डेटा के बीच समन्वय की कमी है. उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि जब हम किसी लक्ष्य के प्रति होलिस्टिक एप्रोच (समग्र दृष्टिकोण) अपनाते हैं, तो सफलता सुनिश्चित हो जाती है. 

स्पोर्ट्स अब भारत का स्वभाव और संस्कृति

डॉ. मांडविया ने कहा कि खेल भारत के स्वभाव और संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने अतीत को याद करते हुए कहा, “एक समय था जब हर घर में अखाड़ा और हर गली में खेल होता था. आज एक दशक में माता-पिता की सोच बदली है। पहले कहा जाता था ‘खेलो मत, सिर्फ पढ़ो’, लेकिन आज माता-पिता कहते हैं ‘पढ़ो भी और खेलो भी’.”

प्रधानमंत्री मोदी का कॉम्प्रहेंसिव विजन

मंत्री ने 2014 के बाद खेल जगत में आए बदलावों का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता को दिया. उन्होंने विकास की कड़ी को इस प्रकार समझाया उन्होंने बताया समृद्ध राष्ट्र के निर्माण के लिए स्वस्थ समाज का होना जरूरी है. लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए फिट इंडिया अभियान शुरू किया गया. फिटनेस को खेल से जोड़ने के लिए खेलो इंडिया की शुरुआत हुई ताकि युवा मैदान तक पहुंचें.

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जमीनी स्तर से टैलेंट की खोज (खेलो इंडिया इकोसिस्टम)

डॉ. मांडविया ने बताया कि कैसे सरकार ने खेल को व्यवस्थित (Systematize) किया है. देश की विविधता और क्षमता को निखारने के लिए सरकार ने कई श्रेणियों में खेलों का आयोजन किया है: स्कूल और यूनिवर्सिटी स्तर पर 6.5 लाख स्कूलों के लिए ‘खेलो इंडिया स्कूल गेम्स’ और फिर ‘यूनिवर्सिटी गेम्स’. ट्राइबल क्षेत्रों के लिए ‘ट्राइबल गेम्स’, पूर्वोत्तर के लिए ‘नॉर्थ ईस्ट गेम्स’. देश की विविध जलवायु का लाभ उठाते हुए ‘स्नो गेम्स’ और ‘बीच गेम्स’ की शुरुआत की गई.

डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा “यह असंभव है कि भारत जैसा विशाल देश ओलंपिक्स में सिर्फ 2-5 मेडल से संतोष करे। हमें इस सोच को बदलना होगा और इसके लिए कॉम्प्रहेंसिव थॉट प्रोसेस की आवश्यकता है.” 

Shivani Singh
Published by Shivani Singh

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