महाराष्ट्र की सियासत में इस वक्त हर दिन नए समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं. लेकिन रायगढ़ से जो खबर सामने आई है, उसने स्थानीय निकाय चुनाव की दिशा ही बदल दी है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जिस गठजोड़ की कल्पना कुछ महीने पहले तक असंभव मानी जा रही थी… वही अब ज़मीन पर आकार लेता दिख रहा है. इसी बीच, सत्ताधारी खेमे के लिए नए सिरदर्द खड़े होने लगे हैं और विपक्ष के तेवर अचानक तेज होते दिखाई दे रहे हैं. आखिर ऐसा क्या हुआ कि स्थानीय स्तर पर हुए एक फैसले ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी? मामला सिर्फ सीटों का नहीं, ताकत दिखाने का है और मुकाबला अब पहले से ज़्यादा दिलचस्प हो चुका है.
दरअसल, सत्ताधारी महायुति (फडणवीस-शिंदे-अजीत पवार सरकार) और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (महा विकास अघाड़ी) दोनों ही अपने-अपने लेवल पर स्ट्रैटेजी बनाने में बिज़ी हैं. इस बीच, एक बड़ा पॉलिटिकल डेवलपमेंट सामने आया है. खबर है कि नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार गुट) ने शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के साथ अलायंस का ऑफिशियली अनाउंसमेंट कर दिया है.
यह फैसला रायगढ़ जिले के कर्जत में एक ज़रूरी मीटिंग में लिया गया. इस मीटिंग के बाद, अब यह कन्फर्म हो गया है कि दोनों पार्टियां आने वाले ज़िला परिषद, पंचायत समिति और म्युनिसिपल काउंसिल इलेक्शन एक साथ लड़ेंगी.
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रायगढ़ में शिंदे गुट बनाम अजित पवार गुट में टकराव
रायगढ़ में कुछ समय से शिवसेना (शिंदे गुट) और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार गुट) के बीच पॉलिटिकल लड़ाई चल रही है. गार्डियन मिनिस्टर के पद को लेकर हुए विवाद ने इस टकराव को और बढ़ा दिया है. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के MP सुनील तटकरे और शिंदे गुट के नेता भरत गोगावले के बीच लगातार आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. कर्जत इलाके में शिंदे गुट और अजित पवार गुट के नेताओं के बीच भी तीखे मतभेद देखे गए हैं.
मीटिंग में नई स्ट्रैटेजी तय हुई
शनिवार को रेडिसन ब्लू होटल में हुई मीटिंग में दोनों पार्टियों के खास नेता एक साथ आए और मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया. मीटिंग में नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट सुधाकर घारे, भरत भगत, अशोक भोपतराव, दीपक श्रीखंडे, और शिवसेना (उद्धव गुट) के सब-डिस्ट्रिक्ट चीफ नितिन सावंत, भीवसेन बडेकर, और प्रदीप ठाकरे के साथ कई दूसरे अधिकारी मौजूद थे.
इस गठबंधन के साथ, शिवसेना (शिंदे गुट) को अब फिर से रणनीति बनाने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा. रायगढ़ जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील जिले में, यह गठबंधन आने वाले चुनाव मुकाबले को और भी दिलचस्प बना सकता है.

