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Farmer Protest: किसानों ने एकबार फिर खोला मोर्चा! सरकार को दिया अल्टीमेटम, मांगें नहीं मानीं तो होगा ‘भारत बंद’

महाराष्ट्र में बच्चू कडू के नेतृत्व में किसान नागपुर-हैदराबाद राजमार्ग पर महा एल्गार मोर्चा लेकर धरने पर बैठ गए. किसानों ने कर्ज़ माफ़ी, फ़सल नुकसान मुआवज़ा और MSP सहित कई माँगों पर सरकार को चेतावनी दी है.

Published by Shivani Singh

महाराष्ट्र में किसानों ने एक बार फिर अपने हक़ की लड़ाई के लिए सड़कों पर डेरा जमा दिया है. नारों की आवाज़, ट्रैक्टरों की कतारें और हाथों में तख्तियाँ नागपुर-हैदराबाद राजमार्ग पर ये नज़ारा साफ बताता है कि किसान अब पीछे हटने वाले नहीं हैं. बच्चू कडू की अगुवाई में चला यह आंदोलन सरकार के लिए सीधी चुनौती बन गया है. इस बार किसान सिर्फ़ माँग नहीं कर रहे, फैसला सुनाने आए हैं या तो कर्ज़ माफ़ी मिलेगी, या फिर सड़कें रुकेंगी.

दरअसल, महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री और प्रहार जनशक्ति पार्टी के संस्थापक बच्चू कडू के नेतृत्व में हज़ारों किसान नागपुर-हैदराबाद राजमार्ग पर धरना दे रहे हैं. बच्चू कडू के नेतृत्व में किसान “महा एल्गार मोर्चा” का आयोजन कर रहे हैं. इससे राजमार्ग पर लगभग 25 किलोमीटर तक लंबा जाम लग गया है.  प्रदर्शनकारी किसानों ने सड़क पर कांटेदार पेड़ लगा दिए हैं, जिससे यातायात पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है. सरकार ने धरना स्थल पर भारी पुलिस बल तैनात किया है.

भारत बंद की चेतावनी

बच्चू कडू ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी माँगें नहीं मानी गईं, तो वे रेलगाड़ियाँ रोकेंगे और भारत बंद का आह्वान करेंगे. कडू ने कहा कि इस बार वे तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक सरकार उनकी माँगें नहीं मान लेती. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन एक निर्णायक मोड़ पर पहुँच गया है, जिसके दूरगामी राजनीतिक और सामाजिक निहितार्थ हैं. उन्होंने घोषणा की, “मैं बैठकों के ज़रिए नहीं, बल्कि सड़कों के ज़रिए न्याय माँगूँगा.

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उनकी क्या माँगें हैं?

महाराष्ट्र के किसानों ने पूरी कर्ज़ माफ़ी, भारी बारिश से हुई फ़सलों के नुकसान का मुआवज़ा, राज्य के विकलांग नागरिकों को ₹6,000 प्रति माह और फ़सलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की माँग की है.

इस बार हम खाली हाथ नहीं लौटेंगे. प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वे खाली हाथ नहीं लौटेंगे. ट्रैक्टरों में खाना, दवाइयाँ और ज़रूरी सामान भरकर ले जाया गया है. किसानों ने कहा, “इस बार हमें चाहे जितना भी लंबा रुकना पड़े, या चाहे हमारी जान ही क्यों न चली जाए, हम तब तक घर नहीं लौटेंगे जब तक कर्ज़ माफ़ी समेत हमारी माँगें पूरी नहीं हो जातीं.”

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