Lok Sabha Speaker Om Birla: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को सदन में हंगामा करने के लिए कांग्रेस सदस्यों की आलोचना की और कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी की संस्कृति सदन में नारे लगाने, तख्तियां लाने और मेजें पीटने की नहीं है, लेकिन इस पार्टी के मौजूदा सांसदों का आचरण पूरा देश देख रहा है। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के सदस्यों ने बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर हंगामा किया, जिससे कार्यवाही बाधित हुई।
बिरला ने कहा, ‘आपको पहले भी बताया गया है कि प्रश्नकाल एक महत्वपूर्ण समय होता है। इसमें जनता के महत्वपूर्ण प्रश्न होते हैं और सरकार जवाबदेह होती है… कई सांसदों ने कहा कि उनके प्रश्न प्रश्नकाल में कम ही आते हैं, लेकिन आप लोगों का व्यवहार संसद की गरिमा के अनुरूप नहीं है।’
‘तख्तियां लेकर आते हैं और मेजें पीटते हैं’
उन्होंने कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा, ‘आप लोग एक ऐसे पुराने राजनीतिक दल के सांसद हैं, जिसने इस सदन के अंदर गरिमा और मर्यादा में बहुत योगदान दिया है। लेकिन लोग देखेंगे कि आप सदन में कैसा व्यवहार करते हैं, तख्तियां लेकर आते हैं और मेजें पीटते हैं।’ लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों से संसद की गरिमा और मर्यादा बनाए रखने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। दुनिया लोकतंत्र में हमारी पारदर्शिता और जवाबदेही जानती है। अगर आप इस तरह का व्यवहार करेंगे, तो इससे लोकतांत्रिक संस्थाओं को क्या संदेश जाएगा।’
बिड़ला ने कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से कहा, ‘वेणुगोपाल जी, क्या आप अपने सांसदों को यही सिखाते हैं? नारे लगाना, तख्तियाँ लाना, मेजें पीटना आपकी पार्टी के संस्कार नहीं हैं, लेकिन नई पीढ़ी जिस तरह के संस्कार प्रस्तुत कर रही है, उसे पूरा देश देख रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘आप लोग सम्माननीय हैं, लाखों लोगों ने आपको चुनकर भेजा है… तख्तियाँ लेकर मेजें तोड़ने के लिए नहीं भेजा है।’
तो सदन नहीं चलेगा
बिड़ला ने ज़ोर देकर कहा कि अगर आप तख्तियाँ लेकर आएँगे तो सदन नहीं चलेगा। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसद पर जनता के करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल के बाद नियमानुसार हर मुद्दे पर चर्चा का अवसर दिया जाएगा। जब हंगामा नहीं थमा, तो उन्होंने कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले 21 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र के पहले तीन दिन विपक्ष के हंगामे के कारण सदन में कामकाज बाधित रहा था।
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