Kargil War Hero: कारगिल युद्ध में देश के लिए लड़ने वाले एक पूर्व सैन्य जवान ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि पुणे के चंदन नगर इलाके में रहने वाले उनके परिवार को शनिवार देर रात कथित तौर पर अपनी भारतीय नागरिकता साबित करनी पड़ी। परिवार का आरोप है कि पुलिस के साथ 30 से 40 अज्ञात लोगों का एक समूह आधी रात को उनके घर में घुस आया और नागरिकता संबंधी दस्तावेजों की मांग करने लगा। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सेवानिवृत्त सैन्य जवान 58 वर्षीय हकीमुद्दीन शेख के परिवार ने मंगलवार को बताया कि पुलिस और कुछ अन्य लोग आधी रात 12 बजे उनके घर पहुंचे और दस्तावेज दिखाने को कहा। इसके बाद, परिवार के पुरुष सदस्यों को पुलिस स्टेशन ले जाया गया।
परिवार के सदस्यों ने क्या कहा?
परिवार के एक सदस्य ने कहा, ‘हमें सुबह 3 बजे तक इंतजार कराया गया और धमकी दी गई कि अगर हम दस्तावेज नहीं दिखाते हैं, तो हमें बांग्लादेशी या रोहिंग्या घोषित कर दिया जाएगा।’ हकीमुद्दीन शेख ने कहा, ‘मैंने कारगिल युद्ध में देश के लिए लड़ाई लड़ी है। मेरा पूरा जीवन इस देश के लिए समर्पित रहा है। आज मेरे परिवार को अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ रही है। यह बेहद शर्मनाक है।’ उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ का रहने वाला यह परिवार 1960 से पुणे में रह रहा है। हालांकि, हकीमुद्दीन 2013 में अपने गांव लौट आए, लेकिन उनके भाई, भतीजे और परिवार के अन्य सदस्य अभी भी पुणे के चंदन नगर इलाके में रहते हैं।
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हकीमुद्दीन के भाई इरशाद शेख ने क्या कहा?
हकीमुद्दीन के भाई इरशाद शेख ने कहा, ‘वे दरवाजा पीटते और नारे लगाते हुए हमारे घर में घुस आए। दस्तावेज दिखाने के बाद भी उन्हें बताया गया कि वे नकली हैं।’ भतीजे नौशाद और नवाब शेख ने यह भी आरोप लगाया कि आधार कार्ड जैसे वैध दस्तावेज दिखाने के बाद भी उन्हें अस्वीकार कर दिया गया और उनका मजाक उड़ाया गया। नौशाद ने कहा, ‘वे गुंडों जैसा व्यवहार कर रहे थे। उन्होंने चिल्लाकर महिलाओं को जगाया और उनसे दस्तावेज दिखाने को कहा।’
एक अन्य भतीजे शमशाद शेख ने बताया कि रविवार को उन्हें फिर से पुलिस स्टेशन बुलाया गया, जहाँ उन्हें दो घंटे इंतज़ार कराया गया और फिर कहा गया कि इंस्पेक्टर नहीं आएंगे। ‘हमारे दस्तावेज़ अभी भी पुलिस के पास हैं।’
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पुलिस ने दी सफाई
डीसीपी सोमय मुंडे ने बताया कि पुलिस को कुछ संदिग्धों के बारे में जानकारी मिली थी, जिसके आधार पर दस्तावेज मांगे गए थे। ‘जैसे ही यह स्पष्ट हुआ कि वे भारतीय नागरिक हैं, उन्हें छोड़ दिया गया। पुलिस के साथ कोई तीसरा पक्ष नहीं था, हमारे पास इसका वीडियो फुटेज है।’ पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने कहा कि मामले की जाँच जारी है। ‘अगर पुलिस की ओर से लापरवाही पाई जाती है, तो कार्रवाई की जाएगी। अब तक की जाँच में घर में किसी भी तरह की ज़बरदस्ती की बात सामने नहीं आई है।’
हकीमुद्दीन ही नहीं, बल्कि परिवार के दो अन्य सदस्य शेख नईमुद्दीन और शेख मोहम्मद सलीम भी सेना में रहे हैं और 1965 तथा 1971 के युद्धों में देश की सेवा कर चुके हैं। परिवार का कहना है कि ‘जब सैनिकों के परिवारों के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम नागरिकों का क्या होता होगा?’

