Britain sanctions Indian Company: भारत ने ब्रिटेन द्वारा 16 अक्टूबर, 2025 को, रूसी तेल कंपनियों और भारतीय कंपनी नायरा एनर्जी पर लगाए गए नए प्रतिबंधों का कड़ा विरोध किया. विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया कि भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध को स्वीकार नहीं करता है और देश की ऊर्जा सुरक्षा को अपनी प्राथमिक ज़िम्मेदारी मानता है.
भारत प्रतिबंधों का समर्थन नहीं करता – MEA
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने ब्रिटेन द्वारा घोषित नए प्रतिबंधों पर ध्यान दिया है. भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध का समर्थन नहीं करता है. ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है ताकि नागरिकों की बुनियादी ज़रूरतें पूरी हों. कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए, खासकर ऊर्जा व्यापार में.” इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि भारत अपनी ऊर्जा आयात रणनीति पर किसी भी बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं करेगा.
रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध
ब्रिटेन ने अपने नए प्रतिबंधों में रूसी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल को भी निशाना बनाया है. ये दोनों कंपनियां प्रतिदिन लगभग 31 लाख बैरल तेल का निर्यात करती हैं, जिसमें रोसनेफ्ट रूस के कुल तेल उत्पादन का लगभग आधा और वैश्विक आपूर्ति का लगभग 6% हिस्सा है. ब्रिटेन ने नायरा एनर्जी के खिलाफ कार्रवाई सहित कुल 90 नए प्रतिबंधों की घोषणा की. ब्रिटेन ने आरोप लगाया कि नायरा एनर्जी ने 2024 में अरबों डॉलर मूल्य का रूसी कच्चा तेल आयात किया और इस कदम का उद्देश्य रूस के तेल राजस्व को अवरुद्ध करना था.
नायरा एनर्जी ने इस कदम पर क्या कहा?
नायरा एनर्जी ने ब्रिटेन और यूरोपीय संघ की कार्रवाई को “एकतरफा और झूठे आरोपों पर आधारित” बताया. कंपनी ने एक बयान में कहा कि वह “पूरी तरह से भारतीय कानूनों और नियमों के तहत” काम करती है और देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है. नायरा ने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ और ब्रिटेन की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून और भारत की संप्रभुता की अवहेलना करती है और उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है.
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