Dimple Yadav: समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने बिहार चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और मालेगांव विस्फोट मामले में आए फैसले पर कड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 60 लाख मतदाताओं के नाम हटाने का फैसला चुनाव आयोग और सरकार पर सवाल खड़े करता है, साथ ही उन्होंने मालेगांव विस्फोट मामले में फैसले के समय पर भी आपत्ति जताई।
डिंपल यादव ने कहा कि चुनाव से ठीक पहले एसआईआर क्यों किया जा रहा है? इससे सरकार और चुनाव आयोग पर सवाल उठते हैं। 60 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, जिससे पता चलता है कि सरकार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं चाहती। उन्होंने आगे कहा कि यह कदम लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर हमला है और विपक्ष व बिहार की जनता की मांगों की अनदेखी करना गंभीर चिंता का विषय है।
मालेगांव विस्फोट मामले पर प्रतिक्रिया
मालेगांव विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी किए जाने पर डिंपल यादव ने कहा कि अदालत ने कहा है कि सबूतों के अभाव में आरोपियों को बरी किया गया है, लेकिन संदेह बना हुआ है। इस फ़ैसले के समय पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि यह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ़ की चर्चा के बीच आया है। उन्होंने कहा कि इस फ़ैसले से कई सवाल अनुत्तरित रह गए हैं।
दोनों मुद्दों पर विपक्ष हमलावर
बता दें कि डिंपल यादव का यह बयान ऐसे समय आया है जब विपक्षी दल एसआईआर और मालेगांव विस्फोट मामले को लेकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं। एसआईआर को लेकर विपक्ष का आरोप है कि यह मतदाताओं को हटाकर चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की साज़िश है, वहीं मालेगांव विस्फोट मामले में फ़ैसले के समय पर भी सवाल उठ रहे हैं।
मालेगाँव को लेकर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि विपक्ष पहले भी पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा को बचाने का आरोप लगा चुका है। दूसरी ओर, बिहार में चुनाव आयोग और मोदी सरकार लगातार एसआईआर पर हमलावर हैं।

