दिल्ली में कुत्तों को हटाने का असर: वैक्यूम प्रभाव (Vacuum Effect) और बच्चों को काटने की घटनाएं
वैक्यूम प्रभाव(Vacuum Effect) क्या है?
जब किसी इलाके से कुत्तों को पकड़कर हटा दिया जाता है, तो वहां की खाली जगह और खाना-पानी कि चीजे खाली रह जाती हैं। यह खाली जगह देखकर नए कुत्ते (अक्सर ज्यादा बीमार) उस इलाके में आ जाते हैं। इसे ही वैक्यूम प्रभाव कहते हैं। मतलब पुराने कुत्ते हटते ही, नए कुत्ते उनकी जगह ले लेते हैं।
दिल्ली में कुत्तों के काटने की समस्या:
दिल्ली में हर दिन लगभग 2,000 कुत्तों के काटने के मामले दर्ज हो रहे हैं।2025 के पहले 6 महीनों में 35,000 से ज्यादा लोग कुत्तों का शिकार बने। कई बार बच्चे खेलते-खेलते कुत्तों के हमले का शिकार हो जाते हैं, जिससे गंभीर चोटें और मौत तक हो जाती है। इन घटनाओं से परेशान होकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि दिल्ली-एनसीआर से हजारों आवारा कुत्तों को हटाकर आश्रय गृह में रखा जाए।
वैज्ञानिक क्यों चेतावनी दे रहे हैं?
विशेषज्ञ कहते हैं कि सिर्फ कुत्तों को हटा देना समस्या का स्थायी हल नहीं है, बल्कि इससे खतरा और बढ़ सकता है, क्योंकि नए कुत्ते जो कि बिना टीके वाले भी हो सकते है, आकर बस सकते है।
- बीमारियों का खतरा बढ़ेगा
नए कुत्ते अक्सर बिना टिके वाले हो सकते हैं, जैसे रैबीज़ जैसी बीमारी फैलने का खतरा बढ़ेगा। - खर्च और व्यवस्था का संकट
लाखों कुत्तों को हटाना और उनकी देखभाल करना बेहद महंगा और मुश्किल है, इसके लिए हजारों करोड़ रुपये और बहुत सारे आश्रय गृह (Shelter Home) चाहिए होगें। - बच्चों के लिए ज्यादा खतरा
नए कुत्तों के आने से बच्चों पर काटने के मामले और बढ़ सकते हैं, खासकर खुले इलाकों में खेलते समय।
समाधान क्या है?
विशेषज्ञ और जानवरों के संगठन कहते हैं कि सबसे बेहतर तरीका है:
बड़े पैमाने पर टीकाकरण
पूरे शहर के कुत्तों का एक साथ टीकाकरण करने से रैबीज़ जैसी बीमारियां फैलने का खतरा कम हो जाएगा।
स्थानीय लोगों की भागीदारी
मोहल्ले के लोग कुत्तों पर नजर रखें, उन्हें खिलाएं, और सुरक्षित बनाए रखें।

